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UP में लाल टोपी को लेकर घमासान हुआ तेज, CM Yogi के बयान पर भड़गे अखिलेश

उत्तर प्रदेश की सियासत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच बर पलटवार का दौर लगातार जारी रहता है। हाल में ही योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा था कि लाल रंग की टोपी पहनने वालों के काले कारनामे सभी को पता है। सपा पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि ‘लाल टोपी’ वाले लोग ‘काले कारनामों’ के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा था कि योगी ने कहा कि आज विकास और सुशासन का क्या मॉडल होना चाहिए, कानून-व्यवस्था कैसी होनी चाहिए, यह उत्तर प्रदेश तय करता है। 
 

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इसी पर अब समाजवादी पार्टी की ओर से खुद अखिलेश यादव ने पलटवार किया है। अखिलेश यादव ने कहा कि जब सदमा लग जाता है तो लोग भी कुछ कहते हैं। लाल रंग को समझना होगा। यह लाल रंग क्रांति का है, मेल-मिलाप का है। लाल रंग भाव का है। हमारे मुख्यमंत्री भावनाओं को नहीं समझ सकते हैं। ये टोपी उन लोगों के काम भी आ सकती है जो गंजे हों। उन्होंने कहा कि हमारा लाल रंग खुशी, त्यौहार का है… आखिर इस रंग से नाराजगी क्या है? योगी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वे हार के सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं इसलिए उन्हें हर जगह लाल रंग दिखाई दे रहा है।
यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि रंग अच्छा बुरा नहीं होता, नजरिया अच्छा बुरा होता है। योगी ने बृहस्पतिवार को कानपुर में एक जनसभा में सपा पर निशाना साधते हुए कहा था, “इनकी टोपी लाल है, लेकिन कारनामे काले हैं और इनका इतिहास काले कारनामों से भरा पड़ा है।” अखिलेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “जनता की संसद का प्रश्नकाल। प्रश्न-लाल और काले रंग को देखकर भड़कने के क्या क्या कारण हो सकते हैं? दो-दो बिंदुओं में अंकित करें।” उन्होंने लिखा, “उत्तर-रंगों का मन-मानस और मनोविज्ञान से गहरा नाता होता है। यदि कोई रंग किसी को विशेष रूप से प्रिय लगता है, तो इसके विशेष मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं और यदि किसी रंग को देखकर कोई भड़कता है, तो उसके भी कुछ नकारात्मक मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं।” 
 

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अखिलेश ने लिखा, “लाल रंग मिलन का प्रतीक होता है। जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है, वे अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं। लाल रंग शक्ति का धारणीय रंग है, इसलिए कई पूजनीय शक्तियों से इस रंग का सकारात्मक संबंध है, लेकिन जिन्हें अपनी शक्ति ही सबसे बड़ी लगती है, वे लाल रंग को चुनौती मानते हैं।” उन्होंने कहा, “इसी संदर्भ में यह मनोवैज्ञानिक मिथक भी प्रचलित हो चला कि इसी कारण शक्तिशाली सांड भी लाल रंग देखकर भड़कता है। काला रंग भारतीय संदर्भों में विशेष रूप से सकारात्मक है। जैसे बुरी नजर से बचाने के लिए घर-परिवार के बच्चों को लगाया जाने वाला काला टीका और सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र में काले मोतियों का इस्तेमाल।” 

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