झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय बजट पर निराशा जताते हुए बुधवार को कहा कि यह गरीबों की जेब काटकर पूंजीपतियों को सहूलियत देने वाला बजट है।
सोरेन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बुधवार को पेश केंद्रीय बजट 2023-24 पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘मैं एक आशावादी व्यक्ति हूं। कोरोना काल के बाद के समय में प्रस्तुत इस वर्ष के बजट से उनके जैसे करोड़ों आदिवासी, दलित, पिछड़े, किसान, युवा, महिला और मजदूर उम्मीद लगाये हुए थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद थी कि कोरोना वायरस महामारी के समय सबसे ज्यादा प्रभावित हुए स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार को लेकर विशेष प्रबंध किएं जाएंगे। हमें उम्मीद थी कि वस्तु एवं सेवा कर छूट के लिए समय बढ़ाया जाएगा, लेकिन आशा के विपरीत शिक्षा, स्वास्थ्य एवं ग्रामीण भारत की जीवन रेखा मनरेगा के बजट में कटौती की गई है।’’
मुख्यमंत्री ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘नौकरी, रोजगार, मंहगाई आदि विषय पर बजट की चुप्पी चिंताजनक है। विभिन्न कृषि उत्पादों पर मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाने पर कोई चर्चा नहीं की गई है। मुझे तो लगता है कि उन्होंने (केंद्र सरकार ने) मान लिया है कि इनके घोषणा करने मात्र से ही किसानों की आय दोगुनी हो गयी है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह बजट में यह ढूंढने का प्रयास कर रहे है कि इसमें झारखंड के लिए क्या है।
उन्होंने कहा, ‘‘देश को प्रति किलोमीटर रेल पटरी के आधार पर सबसे ज्यादा मुनाफा कमा कर देने वाले हम हैं। ऐसे में यात्री रेल के परिचालन का दायरा बढ़ना चाहिए था। हमें नई रेल लाइन मिलनी चाहिए थी, नई ट्रेन मिलनी चाहिए थीं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।ष्ष्
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यम वर्ग को सहारा देने के लिए भी सिर्फ शिगूफा छोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि बचत को हतोत्साहित करने वाला यह बजट गरीब और मध्यम वर्ग के भविष्य को भी असुरक्षित करने वाला है।