सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) समेत विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के बीच उत्तर प्रदेश के तीन अहम मंत्रियों के गढ़ शाहजहांपुर का पहला महापौर बनकर इतिहास रचने की होड़ लगी है।
राज्य सरकार ने शाहजहांपुर को नगर निगम का दर्जा दिया है और यहां पहली बार मेयर पद का चुनाव हो रहा है। भाजपा ने अर्चना वर्मा को जबकि सपा ने माला राठौर को महापौर पद का उम्मीदवार बनाया है। अर्चना को सपा ने प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन उन्होंने उसके फौरन बाद सभी को चौंकाते हुए भाजपा का दामन थाम लिया।
महापौर पद के चुनाव में सीधा मुकाबला भाजपा और सपा के बीच ही देखा जा रहा है और दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशी इस नवगठित नगर निगम की पहली महापौर बनकर इतिहास रचने की जद्दोजहद में लगी हैं।
शाहजहांपुर का मुकाबला यहां से तीन प्रमुख मंत्रियों वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद और सहकारिता राज्यमंत्री जेपीएस राठौर के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है।
शाहजहांपुर में नगरीय निकाय चुनाव के दूसरे चरण के तहत 11 मई को मतदान होगा। परिणाम की घोषणा 13 मई को की जाएगी।
भाजपा उम्मीदवार अर्चना वर्मा ने मेयर चुनाव में जीत दर्ज करने का भरोसा जताते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘प्रचार अच्छा रहा है और मुझे मेयर की सीट जीतने का पूरा भरोसा है। इस चुनाव में मुख्य मुद्दा विकास का है।’’
सपा का मेयर प्रत्याशी घोषित होने के बावजूद पार्टी छोड़ने के कारण के बारे में पूछे जाने पर वर्मा ने कहा, ‘‘सपा के लोगों ने अलग-अलग गुट बना लिए थे और वे मुझे हराने की साजिश रच रहे थे।’’
सपा की मेयर पद की उम्मीदवार माला राठौर ने भी सीट जीतने का भरोसा जताया और कहा कि उन्हें लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
यह पूछे जाने पर कि क्या पूर्व में घोषित सपा उम्मीदवार अर्चना वर्मा के भाजपा में शामिल होने से उनके और पार्टी कार्यकर्ताओं के आत्मविश्वास का स्तर कमजोर होगा, उन्होंने कहा, ऐसा क्यों होगा? लोग मेरे साथ हैं और वे मुझे अपना समर्थन दे रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश के तीन मंत्रियों के सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार के लिए प्रचार करने के बावजूद उन्हें लोगों का समर्थन मिलेगा और इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
शाहजहांपुर नगर निगम के मेयर पद के लिए कुल आठ प्रत्याशी हैं।
चुनाव में कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और आम आदमी पार्टी ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक, शाहजहांपुर में मेयर चुनने के लिए 3.20 लाख से ज्यादा मतदाता वोट डाल सकेंगे।
शाहजहांपुर से ताल्लुक रखने वाले सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने जिले में मेयर तथा पार्षद पदों पर भाजपा उम्मीदवारों की जीत का विश्वास व्यक्त करते हुए पीटीआई- से कहा, वे (सपा) अपने उम्मीदवार को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं, और अगर कोई (हमारी) पार्टी में आ रहा है, तो हम क्या कर सकते हैं? अगर कोई अच्छा व्यक्ति है, समाज में, या किसी भी (राजनीतिक) पार्टी में, हम उन्हें पार्टी में शामिल करेंगे।
आखिर हम अपना कुनबा बढ़ाने के लिए काम करेंगे। वे अपनी अक्षमता के लिए हमें दोष क्यों दे रहे हैं?
उन्होंने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों की घोषणा के बाद से ही अर्चना वर्मा भाजपा में शामिल होने की कोशिश कर रही थीं।
शहर के निवासियों के लिए चल रहे चुनावों में विकास मुख्य मुद्दा प्रतीत होता है।
स्वामी शुकदेवानंद पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के इतिहास विभाग के प्रमुख विकास खुराना ने कहा, शहर में हरित आवरण नहीं है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए। हमने यह भी मांग की है कि एक विद्युत शवदाहगृह बनाया जाए। हमने बढ़े हुए जल कर और हाउस टैक्स से भी राहत मांगी है।
सड़क पर अतिक्रमण है और वाहनों की संख्या में वृद्धि के कारण शहर में भारी जाम है।
स्थानीय व्यवसायी अमित शर्मा और गांधी फैज-ए-आम कॉलेज के प्रिंसिपल मोहम्मद तारिक खान ने कहा कि इस निकाय चुनाव में मुख्य मुद्दा विकास है।
डॉक्टर श्वेता मिश्रा ने कहा कि उनके लिए चुनावी मुद्दों में शामिल है कि कैसे कोविड-19 महामारी के दौरान व्यापार को हुए नुकसान की भरपाई की जाए, महिलाओं को रोजगार देने की योजना, स्वास्थ्य सुविधाएं और बालिकाओं को शिक्षा प्रदान करने की योजना भी शामिल है।
स्थानीय वकील अनूप त्रिवेदी ने कहा कि शहर का विकास चुनावी मुद्दों पर हावी रहेगा, क्योंकि कोई भी शहर द्वारा पिछले कुछ वर्षों में की गई प्रगति की गति को कम होते हुए नहीं देखना चाहेगा।