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ऐसी स्थिति को लेकर चिंतित जहां रक्षक ही भक्षक बन जाएं: गुजरात उच्च न्यायालय

अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह ऐसी स्थिति को लेकर चिंतित है जहां रक्षक ही भक्षक बन जाएं।
उच्च न्यायालय ने यातायात पुलिस के दो कांस्टेबल और ट्रैफिक ब्रिगेड (टीआरबी) के एक जवान पर अहमदाबाद शहर में रात में कैब से जा रहे एक दंपति से कथित तौर पर पैसे वसूलने पर स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की।
मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी मायी की खंडपीठ ने इस पर रिपोर्ट मांगी कि क्या गुजरात के अन्य शहरों में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं।

उसने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि टैक्सियों में हेल्पलाइन नंबर इस तरह प्रदर्शित किए जाएं कि संकट में फंसे लोग उन पर आसानी से संपर्क कर सकें।
जब सरकारी वकील मनीषा लवकुमार शाह ने पीठ से कहा कि गुजरात शायद सबसे सुरक्षित राज्य है तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “लोग सुरक्षित हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन अगर रक्षक ही भक्षक हैं…यहां मुद्दा अपराधियों के बारे में नहीं है। रक्षक ही अपराधी हैं, हम इस स्थिति से चिंतित हैं।”

सरकारी वकील ने उच्च न्यायालय को बताया कि घटना के अगले ही दिन संबंधित यातायात अधिकारियों और टीआरबी जवान के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और एक दिन बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। शाह ने कहा कि जहां दो कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया, वहीं टीआरबी जवान की सेवा समाप्त कर दी गई। टीआरबी जवान मानदेय के आधार पर कार्य करते हैं।
उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी जांच शुरू की गई है और पुलिस आयुक्त ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक परिपत्र जारी किया है कि रात के समय स्टेशनों से आने वाले नागरिकों को परेशान नहीं किया जाए।

शाह ने अदालत को बताया, “रात्रि गश्त में तैनात सभी पुलिस अधिकारियों एवं होम गार्ड जवानों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी वर्दी पर नाम पट्टिका अवश्य लगाएं तथा अगर ऐसा नहीं हुआ तो कड़ी कार्रवाई की जाए।”
उच्च न्यायालय ने पुलिस को निलंबित कांस्टेबलों के खिलाफ विभाग की जांच समयबद्ध तरीके से पूरी करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को निर्धारित की।

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