तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के धर्मनिरपेक्षता पर दिए गए बयान पर कांग्रेस सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि न तो उन्हें धर्मनिरपेक्षता शब्द का मतलब पता है और न ही उन्हें पता है कि संविधान में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द डालते समय क्या चर्चा हुई थी। कुछ भी बोलना उनकी आदत बन गई है। पहले तो केवल भाजपा के नेता ही बोलते थे, लेकिन अब उन्होंने राज्यपालों और संवैधानिक संस्थाओं से बोलना शुरू कर दिया है या तो वे संविधान का पालन करें या इस्तीफा दें।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विरुधुनगर लोकसभा क्षेत्र से सांसद मणिकम टैगोर ने आलोचना की है। कांग्रेस नेता ने एक्स पर लिखा कि धर्मनिरपेक्षता पर तमिलनाडु के राज्यपाल का बयान अस्वीकार्य है। यह भारत के संविधान और महात्मा गांधी, बाबासाहेब अंबेडकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल के भारत के विचार के भी खिलाफ है। विदेशों में धर्मनिरपेक्षता का विचार भले ही अलग हो, लेकिन भारत में हम सभी अन्य धर्मों का सम्मान करते हैं, हम सभी अन्य परंपराओं का सम्मान करते हैं।
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गौरतलब है कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने दावा किया कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भारत के लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई है। उन्होंने कहा कि यह एक यूरोपीय अवधारणा है और भारत में इसकी आवश्यकता नहीं है। कन्याकुमारी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इस देश के लोगों के साथ कई धोखाधड़ी की गई हैं और उनमें से एक धर्मनिरपेक्षता की गलत व्याख्या है। राज्यपाल ने पूछा कि धर्मनिरपेक्षता का क्या मतलब है? धर्मनिरपेक्षता एक यूरोपीय अवधारणा है, और यह भारतीय अवधारणा नहीं है।