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नेहरू के समय से ही कांग्रेस आरक्षण के विरोध में रही है: राजस्थान के उपमुख्यमंत्री, बैरवा

अहमदाबाद । राजस्थान के उपमुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा ने राहुल गांधी द्वारा आरक्षण के मुद्दे पर की गई टिप्पणी को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए दावा किया कि विपक्षी पार्टी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय से ही आरक्षण के खिलाफ रही है। बैरवा ने गांधीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दावा किया कि राहुल गांधी की पार्टी ने अपने राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमेशा संवैधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग किया है और कल्याणकारी उद्देश्यों की उपेक्षा की है। 
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने ऐसे समय में यह टिप्पणी की है जब राहुल गांधी ने अमेरिका की अपनी हाल की यात्रा के दौरान जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों से कहा था कि कांग्रेस आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेगी, जब देश में सभी को समान अवसर मिलने लगेंगे। उन्होंने कहा था, ‘‘फिलहाल भारत में ऐसी स्थिति नहीं है।’’ बैरवा ने कहा, हाल में अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि उनकी पार्टी सत्ता में आने के बाद आरक्षण हटा देगी। गांधी वही राग अलाप रहे हैं जो उनकी पार्टी जवाहरलाल नेहरू के समय से कहती रही है। इतिहास पर नजर डालिए। 
भाजपा नेता ने कहा, कांग्रेस पार्टी ने इस देश पर लगभग 57 साल तक शासन किया और उसने अपने राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमेशा संवैधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग किया तथा कल्याणकारी उद्देश्यों की उपेक्षा की। उन्होंने दावा किया कि नेहरू सरकार ने 1956 में काका कालेलकर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था जिसमें पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की सिफारिश की गई थी। राजस्थान के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नेहरू ने 1961 में सभी मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में कहा था कि आरक्षण से उत्पादकता में कमी आएगी। नेहरू ने 1952 और 1954 के चुनाव में डॉ. बीआर आंबेडकर को हराने के लिए उनके राजनीतिक और सामाजिक करियर को भी खत्म करने की कोशिश की थी। 
बैरवा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उस क्षेत्र के अनुसूचित जाति के लोगों को न्याय दिया है। उन्होंने कहा कि यह मोदी ही हैं जिन्होंने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिया। बैरवा ने कहा, इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू न करके ओबीसी समुदाय को आरक्षण देने में देरी की। 1985 में राजीव गांधी ने भी मंडल आयोग की सिफारिशों पर आपत्ति जताई थी और मुसलमानों के लिए आरक्षण की वकालत की थी, जो आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के खिलाफ था।

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