चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जननायक जनता पार्टी (जजपा) गठबंधन सरकार के खिलाफ कांग्रेस द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव बृहस्पतिवार को विपक्षी विधायकों के सदन से बहिर्गमन के बाद ध्वनिमत से खारिज हो गया। अविश्वास प्रस्ताव पर चली करीब चार घंटे की बहस के बाद कांग्रेस सदस्यों ने मुख्यमंत्री के जवाब को लेकर असंतोष जताया और सदन से बहिर्गमन किया। इसके बाद प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज हो गया।
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने प्रस्ताव के अस्वीकार होने की घोषणा की। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार के दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस द्वारा पेश यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव था। करीब तीन साल पहले कांग्रेस ने अब रद्द हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के बीच भाजपा-जजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था जो सदन में गिर गया था।
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हरियाणा के 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 41 विधायक हैं जबकि सहयोगी जजपा के 10 विधायक हैं। छह निर्दलीय विधायक भी भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। हरियाणा लोकहित पार्टी के एकमात्र विधायक गोपाल कांडा का भी सत्तारूढ़ गठबंधन को समर्थन है। सदन में मुख्य विपक्षी कांग्रेस के 30 विधायक हैं जबकि इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) का एक सदस्य है।