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भाजपा में शामिल होने पर बोले शशिधर रेड्डी, TRS के खिलाफ लड़ाई की स्थिति में नहीं है कांग्रेस

भाजपा में शामिल होने के बाद एम शशिधर रेड्डी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि तेलंगाना में कांग्रेस टीआरएस के साथ लड़ाई की स्थिति में नहीं थी। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि भारी मन से मैंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। अपने बयान में एम शशिधर रेड्डी ने कहा कि मैंने 3 दिन पहले बहुत भारी मन से कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि 2014 में तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा दिया गया, लेकिन तेलंगाना की कांग्रेस पार्टी तेलंगाना की जनता के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ लड़ने में विफल रही है। सरकार झूठे वादे कर रही है। 
 

रेड्डी ने आगे कहा कि तेलंगाना में हालिया राजनीतिक विकास ने स्पष्ट रूप से स्थापित कर दिया है कि कांग्रेस TRS के साथ लड़ाई की स्थिति में नहीं है। इसलिए तेलंगाना के लोगों के साथ खड़े होने के लिए मैं भाजपा में शामिल हुआ। आपको बता दें कि अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एम. चेन्ना रेड्डी के बेटे और तेलंगाना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम. शशिधर रेड्डी ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया था। भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, सर्बानंद सोनोवाल, तेलंगाना प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बी संजय कुमार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डी के अरुणा और राज्यसभा सदस्य के लक्ष्मण सहित अन्य नेताओं की मौजूदगी में शशिधर रेड्डी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
 
इससे पहले उन्होंने तेलंगाना कांग्रेस के नेताओं के कांग्रेस लॉयलिस्ट्स फोरम का नेतृत्व भी किया था। उन्होंने अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया था। उन्होंने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी को अपने इस्तीफे के कारणों बताते हुए एक पत्र भी लिखा है। उन्होंने पत्र में, पार्टी मामलों में कथित तौर पर पैसे के बढ़ते प्रभाव, तेलंगाना में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में कांग्रेस की विफलता और कांग्रेस प्रभारियों और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों के खराब कामकाज के बारे में लिखा है। रेड्डी ने 1960 के दशक में पार्टी का चुनाव चिह्न जब बैल का जोड़ा और उसके बाद गाय और बछड़ा था, तब से खुद के और अपने दिवंगत पिता के कांग्रेस के साथ पुराने संबंध को याद करते हुए कहा कि उनके पिता की ही सलाह पर बाद में इंदिरा गांधी ने ‘‘हाथ’’ का चिह्न चुना था। 

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