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Latur Rural विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने किया दशकों तक राज, बीजेपी को इस चुनाव में अपनी जीत का भरोसा

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव सिर्फ पांच दिन बाद एक ही चरण में चुनाव होंगे जो 20 नवंबर को किए जाएंगे। जिसके बाद राज्य में 23 नवंबर को मतगणना होगी। ऐसे में अब सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। ऐसे में सभी क्षेत्रीय दल से लेकर राष्ट्रीय दल जीत के लिए जनता के द्वार पहुंच रहे हैं। अब जनता किसे अपना नेता चुनेगी, ये तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा। लेकिन किस विधानसभा में किस पार्टी के उम्मीदवार को जनता ने अपना नेता चुना है, और आगे किस पार्टी के उम्मीदवार को अपना नेता चुनेगी। यह स्थिति परिमाण आने के बाद ही स्पष्ट हो पायेगी। इस चुनवा को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने लातूर सीट से रमेश काशीराम कराड को मैदान में उतार दिया है।
लातूर विधानसभा सीट का इतिहास
लातूर ग्रामीण लातूर में एक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र है। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद, लातूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र को 2008 में लातूर शहर और लातूर ग्रामीण में विभाजित किया गया था। वे लातूर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) का हिस्सा हैं। लातूर भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक शहर है, और मराठवाड़ा क्षेत्र के सबसे बड़े शहरों में से एक है। यह लातूर जिले और लातूर तालुका का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह शहर कई ऐतिहासिक स्मारकों से घिरा एक पर्यटन केंद्र है, जिसमें उदगीर किला और खरोसा गुफाएँ शामिल हैं।
यह महाराष्ट्र का एक विधानसभा क्षेत्र है। 2019 में, इस निर्वाचन क्षेत्र पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। 2019 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के धीरज विलासराव देशमुख ने नोटा को 107506 मतों के अंतर से हराकर सीट जीती थी। लातूर ग्रामीण विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र लातूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 2024 के लोकसभा चुनावों में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. शिवाजीराव कलगे ने भारतीय जनता पार्टी के सुधाकर तुकाराम श्रंगारे को हराकर लातूर लोकसभा (एमपी) सीट से 61881 मतों के अंतर से जीत हासिल की। ​​
इस बार क्या होगा जनता का मूड
आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो, हम देख पाएंगे कि लातूर विधानसभा सीट पर लंबे समय से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी रही है। वहीं 2009 से 2019 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने  अपने पैर इस राज्य में जमा रखें है। हालांकि, 2024 विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही यह पता चल सकेगा कि जनता का आखिर मूड क्या था?
भाजपा नेता रमेश कराड का परिचय
रमेश काशीराम कराड जिन्हें आमतौर पर रमेश अप्पा कराड के नाम से जाना जाता है, महाराष्ट्र राज्य के एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी से महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य और भारतीय जनता पार्टी लातूर के जिला अध्यक्ष हैं। वह महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के लातूर जिले से हैं । वह 2020 में पार्षद बने। कराड का जन्म महाराष्ट्र के लातूर जिले के लातूर तालुका के रामेश्वर गांव में काशीराम दादाराव कराड के घर एक हिंदू परिवार में हुआ था । वे पेशे से राजनीतिज्ञ हैं। उनकी पत्नी का दूध का व्यवसाय है। वे सावरगांव के संत भगवान बाबा के अनुयायी हैं। वे शिक्षा जगत के दिग्गज विश्वनाथ कराड के भतीजे हैं। उनके अनुयायी उन्हें आमतौर पर अप्पा के नाम से पुकारते हैं।
राजनीतिक कैरियर
कराड ने अपने गृहनगर लातूर ग्रामीण (विधानसभा क्षेत्र) से चुनाव लड़ा था , जो रेनापुर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था। रेनापुर पर तत्कालीन भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे का प्रभाव था। कराड मुंडे के अनुयायी हैं। लातूर ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र का निर्माण 2009 में रेनापुर और लातूर निर्वाचन क्षेत्रों को विभाजित करके किया गया था। मुंडे की मृत्यु के बाद कराड ने लातूर ग्रामीण में पार्टी को जीवित रखा। तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय विलासराव देशमुख का सीधे सामना करना आसान नहीं था। लेकिन कराड ने लातूर ग्रामीण में अकेले चुनाव लड़ा।
कराड परिवार की विरासत और ग्रामीण क्षेत्र में संगठन के कारण कराड 2009 से विधायक बनने का सपना देख रहे हैं। उन्होंने 2009 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ा , जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वैजनाथ शिंदे ने कराड को 23,500 वोटों से हराया। कांग्रेस के त्रिम्बक भिसे ने 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कराड को 10,500 वोटों से हराया। लेकिन कराड ने लगातार दो हार के बाद उम्मीद नहीं छोड़ी। वे लगातार अपने मतदाताओं के संपर्क में रहे। 2018 के विधान परिषद चुनाव में उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से भाजपा के सुरेश धास के खिलाफ नामांकन दाखिल किया। लेकिन उन्होंने नामांकन वापस लेकर पंकजा मुंडे के गुट में वापस आकर एनसीपी नेता धनंजय मुंडे को चौंका दिया।
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में माहौल तैयार हो गया था । उन्होंने पार्टी के आदेशानुसार काम शुरू कर दिया। कराड के समर्थक खुलेआम दावा कर रहे थे कि कांग्रेस नेता धीरज देशमुख की जीत आसान बनाने के लिए भाजपा ने यह सीट शिवसेना के लिए छोड़ी । उसके बाद से कराड चुनाव में नहीं उतरे। लेकिन पार्टी ने उन्हें लातूर ग्रामीण के लिए जिला अध्यक्ष का पद देकर उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने 2020 में तीन अन्य भाजपा सदस्यों के साथ विधान परिषद चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया। लेकिन भाजपा ने पहले से घोषित अजीत गोपछड़े की जगह कराड को आधिकारिक उम्मीदवारी देकर शॉक मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया। उन्होंने निर्विरोध परिषद चुनाव जीता और पहली बार विधानमंडल में प्रवेश किया।

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