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Political Party: विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड में लड़खड़ाती नजर आ रही कांग्रेस

साल 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद सत्तारूढ़ कांग्रेस चुनावी लड़ाई पहले से ही लड़खड़ाती दिख रही है। हालांकि वहीं अन्य सियासी दल जोर-शोर से चुनावी मैदान में उतरे हैं औऱ जीत हासिल करने के लिए हर एक दांव आजमाने में जुटे हैं। लेकिन राज्य में कांग्रेस के लड़खड़ाने की कई वजहें हैं। इसके अलावा पार्टी के सामने पिछला स्ट्राइक रेट दोहराने की बड़ी चुनौती भी है। हरियाणा में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस झारखंड में किसी धारदार रणनीति पर काम करती है या नहीं, यह देखना काफी दिलचस्प होगा। 
झारखंड में अन्य विपक्षी दल कांग्रेस की कड़ियों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि झामुमो के गढ़ में दरक लगाना मुश्किल है। लेकिन राज्य में कांग्रेस को आसानी से पीछे ढकेला जा सकता है। राज्य विधानसभा चुनाव में लड़ने की तैयारियों में कांग्रेस मजबूती दिखाने का प्रयास कर रही है। लेकिन कांग्रेस की रणनीति में उस तरह की धार नहीं देखी जा रही है, जिससे वह चुनावी ल़ड़ाई में उतरी अन्य सियासी दलों की फौज का सामना कर सके। हालांकि राज्य में  कांग्रेस के प्रभारी गुलाम अहमद मीर और प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश अपने पुराने अनुभवों के साथ स्थिति संभालने में जुटे हैं। लेकिन इन नेताओं की भी राहें आसान नहीं दिख रही हैं।

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इसके अलावा राज्य विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने में भी जहां एक ओर कांग्रेस ने देरी की, तो वहीं इससे उम्मीदवारों में भी ऊहापोह की स्थिति बनी रही। बीते 28 अक्तूबर को कांग्रेस ने अपनी तीसरी लिस्ट में बोकारो और धनबाद सीट के लिए प्रत्याशी की घोषणा की, जबकि नामांकन भरने की लास्ट डेट 29 नवंबर थी। वहीं पिछले यानी की साल 2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें, तो कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और आरजेडी के साथ गठबंधन में 31 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। जिनमे से 16 सीटों पर पार्टी ने जीत हासिल की थी। साल 2014 के चुनावों की तुलना में पार्टी को 9 सीटों का फायदा मिला था। इस चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 13.87 था।
इसलिए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के सामने यह चुनौती बरकरार है कि वह किस तरह से अन्य सियासी दलों से लड़कर अपना स्ट्राइक रेट बचाएगी। हालांकि कांग्रेस के कई दमदार चेहरे मैदान में हैं, जो अन्य राजनीतिक दलों के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं। लेकिन कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की राह आसान नहीं रहने वाली है।

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