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कांग्रेस पूर्वी राजस्थान में मत प्रतिशत मजबूत करने के लिए ईआरसीपी का लेगी सहारा

कांग्रेस सोमवार को पूर्वी राजस्थान के बारां जिले से अपने चुनाव अभियान की शुरुआत ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना’ को राष्ट्रीय दर्जा देने की मांग को प्रमुखता से उठाने के साथ करेगी। पार्टी का लक्ष्य इस क्षेत्र की 83 विधानसभा सीटों में से बड़ी संख्या में सीटें हासिल करना है।
2018 के चुनाव में क्षेत्र के 13 जिलों की 83 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 49 पर जीत हासिल की, जबकि भरतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 25 पर जीत हासिल की। आठ सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी, जबकि अन्य पर राष्ट्रीय लोकदल ने जीत हासिल की थी।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव 25 नवंबर को होंगे जबकि वोटों की गिनती तीन दिसंबर को होगी।
कांग्रेस ने पूर्वी राजस्थान में अपना अभियान बारां से शुरू करने की योजना बनाई है, जो प्रस्तावित ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना’ (ईआरसीपी) के तहत आने वाले जिलों में से एक है।

उसने पहले ही प्रचार के लिए नारा दिया है किया दिल से, कांग्रेस फिर से।
ईआरसीपी एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो मूल रूप से पिछली भाजपा सरकार द्वारा क्षेत्र के 13 जिलों के निवासियों की सिंचाई और पीने के पानी की समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए प्रस्तावित की गई थी।
पूर्वी राजस्थान में झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, अजमेर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर और धौलपुर जिले शामिल हैं।
कांग्रेस अभियान के तहत हर दिन पूर्वी राजस्थान के दो जिलों को कवर करेगी। पार्टी के एक नेता ने कहा कि यह हर जिले में एक जनसभा भी आयोजित करेगी जिसे राज्य और राष्ट्रीय स्तर के नेता संबोधित करेंगे।
2018 में राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ईआरसीपी को राष्ट्रीय दर्जा देने की मांग करते हुए भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र को घेर रहे हैं।

इस परियोजना पर 40,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आने का अनुमान है, जिससे 13 जिलों में दो लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि हम ईआरसीपी पर केंद्र के विश्वासघात के खिलाफ यात्रा निकाल रहे हैं। हम 16 अक्टूबर को बारां जिले से अपना चुनाव अभियान शुरू कर रहे हैं। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे आ रहे हैं और प्रियंका गांधी वाद्रा 20 अक्टूबर को सिकराय में एक रैली को संबोधित करेंगी।’’
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी भाजपा को बेनकाब करने के लिए छोटी और बड़ी जनासभाएं आयोजित करेगी।
उन्होंने कहा देश में राष्ट्रीय महत्व की सोलह परियोजनाएं चल रही हैं और 17वीं भी हो सकती है। गहलोत ने आरोप लगाया कि अगर परियोजना तेज गति से पूरी होती तो (क्षेत्र में) जल संकट कम हो सकता था लेकिन उन्होंने (केंद्र) पांच साल में इसमें बाधाएं पैदा कीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने उस परियोजना को नहीं रोका, जिसे पिछली भाजपा सरकार ने प्रस्तावित किया था। बल्कि उसे आगे बढ़ाया।
कांग्रेस ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में चुनावी रैलियों के दौरान ईआरसीपी को राष्ट्रीय दर्जा देने का वादा किया था।
हालाकि, भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर परियोजना पर राजनीति करने और इसे पूरा करने की दिशा में सकारात्मक कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा अशोक गहलोत इस (ईआरसीपी) मुद्दे पर राजनीति करना चाहते थे। यह गहलोत की विफलता थी। बार-बार बातचीत के बावजूद राजस्थान से कोई सकारात्मक सहयोग नहीं मिला।
उन्होंने कहा, मध्य प्रदेश से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं मिलने, राजस्थान सरकार की जिद और नियमों के विपरीत परियोजना को लागू करने की गहलोत की जिद के कारण परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी।

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, गहलोत की प्राथमिकता राजनीति है, लोगों के लिए पानी नहीं।
उन्होंने दावा किया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकारों द्वारा परियोजना के लिए सैद्धांतिक सहमति देने के बावजूद, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण काम अटक गया।
शेखावत ने कहा कि चुनाव के बाद राजस्थान में भाजपा सरकार बनाएगी और ईआरसीपी को नदी जोड़ो परियोजना के रूप में लागू किया जाएगा।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी का लक्ष्य पूर्वी राजस्थान में अपनी बढ़त बनाए रखना है और कहा कि लक्ष्य हासिल करने में ईआरसीपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का लक्ष्य क्षेत्र में घर-घर जाकर रैलियां निकालना है ताकि लोगों को जागरुक किया जा सके कि कैसे भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए इस परियोजना में देरी कर रही है।

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