कर्नाटक विधानसभा चुनाव में महज 15 दिन बचे हैं। ऐसे में बेंगलुरु शहर के बाद कर्नाटक में सर्वाधिक विधानसभा सीट वाले बेलगावी जिला राजनीति के लिहाज से काफी खास है। इस जिले में स्थानीय मुद्दों ज्यादा लिंगायत राजनीति छाई रहती है। जिसके कारण इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। हालांकि महाराष्ट्र एकीकरण समिति सीमा संबंधी मुद्दों को उठाने का प्रयास कर रही है। जिसके कारण कुछ सीटों पर दोनों ही दलों के खेल बिगड़ने की संभावना है।
बेलगावी में 18 विधानसभा क्षेत्र
सीमावर्ती जिले बेलगावी में 18 विधानसभा क्षेत्र हैं। साथ ही यह क्षेत्र लिंगायत समुदाय का मजबूत गढ़ भी है। हालांकि पिछले दो दशक से बीजेपी इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। पिछले तीन चुनावों की तरह ही ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है। शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी समर्थित एमईएस बेलगावी की 5 सीट पर दोनों दलों को नुकसान पहुंचा सकती है। इन सीट पर एमईएस ने स्थानीय उम्मीदवारों को चुनाव में उतारा है।
इसे भी पढ़ें: Karnataka Election 2023: मांड्या जिला JDS का है अभेद्य किला, BJP आज तक नहीं खोल पाई खाता
मतदान में पड़ेगा असर
इसके अलावा बीएस येदियुरप्पा को पार्टी से दरकिनार करने के बाद लिंगायत समुदाय में पैदा हुई नेतृत्व की कमी के कारण भी मतदान पर असर पड़ सकता है। वहीं सुरेश अंगड़ी और उमेश कट्टी जैसे कुछ प्रमुख स्थानीय लिंगायत बीजेपी नेताओं का निधन हो जाने के बाद और अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंध रखने वाले जारकीहोली परिवार के बढ़ते रुतबे का भी मतदान पर असर पड़ सकता है।
नाराज विधायक कर सकते हैं खेल
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तीन बार के विधायक और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी सहित कई नेताओं को बीजेपी से टिकट नहीं मिला। जिसके कारण इन नेताओं ने नाराज होकर पार्टी छोड़ दी। बताया जा रहा है कि बेलगामी में इस कारण भी बीजेपी को कुछ नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।
सीमा संबंधी मुद्दा
वहीं दूसरी ओर एमईएस, बीजेपी और कांग्रेस की मुश्किलें बढा रही है। एमईएस बेलगावी में सीमा संबंधी मुद्दों को जीवित रखने का प्रयास कर रही है। बता दें कि बेलगावी में करीब 40 प्रतिशत मराठी भाषी जनसंख्या है। ऐसे में उन पांच निर्वाचन क्षेत्रों में त्रिकोणीय मुकाबले से राष्ट्रीय पार्टियों को नुकसान हो सकती है। जहां पर मराठी भाषी लोगों की संख्या ज्यादा है।
मराठों का वर्चस्व
बेलगावी जिले के पांच निर्वाचन क्षेत्रों में मराठों का वर्चस्व है। वहीं 13 निर्वाचन क्षेत्रों में से ज्यादातर लिंगायत बहुसंख्यक हैं। जबकि ओबीसी और एससी-एसटी की भी यहां पर अच्छी खासी आबादी है। इन समूहों के लिए जिले में दो सीट आरक्षित हैं। जिले में कई निर्वाचित प्रतिनिधि चीनी के व्यापारी हैं। इसके अलावा यहां पर तीन शक्तिशाली राजनीतिक परिवार जोले, खट्टी और जारकीहोली का अच्छा खासा प्रभाव है।
जारकीहोली- जोले और खट्टी भी मैदान में
अराभवी विधानसभा क्षेत्रों से बीजेपी के टिकट पर जारकीहोली परिवार से मेश जारकीहोली गोकक और बालचंद्र जारकीहोली चुनावी मैदान में उतरे हैं। वहीं इसी परिवार के एक अन्य सदस्य सतीश जारकीहोली यमकनमर्दी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
यहां से एक अन्य प्रभावशाली परिवार जोले है। वर्तमान मुजराई मंत्री शशिकला जोले इसका प्रतिनिधित्व करती हैं। शशिकला जोले निप्पनी निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।
सदलगा सीट से बीजेपी के टिकट पर खट्टी परिवार से, रमेश खट्टी चिकोड़ी चुनाव मैदान में हैं। जबकि रमेश खट्टी के भतीजे निखिल खट्टी हुक्केरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं
मतदाता
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक बेलगावी जिले के 18 विधानसभा क्षेत्रों में करीब 39.01 लाख वोटर हैं। इनमें से 19,68,928 पुरुष वोटर, 19,32,576 महिला वोटर और 141 अन्य रूप में मतदाता रजिस्टर्ड हैं। पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो कांग्रेस ने 8 और बीजेपी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी।