असम सैनिक कल्याण निदेशालय के अध्यक्ष ब्रिगेडियर (अवकाश प्राप्त) डी. सी. मजूमदार ने रविवार को दावा किया कि राज्य में भूतपूर्व सैनिकों को नौकरी देने में कॉरपोरेट क्षेत्र की भूमिका ‘बहुत उत्साहजनक नहीं’ है।
उन्होंने राज्य सरकार द्वारा सशस्त्र बलों के अवकाश-प्राप्त सैनिकों, खासतौर पर कम उम्र में सशस्त्र बल से अवकाश प्राप्त करने वाले कनिष्ठ पदों के सैनिकों को रोजगार देने की कोशिश की प्रशंसा की।
आठवें ‘सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रम से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में मजूमदार ने कहा, ‘‘कई भूतपूर्व सैनिक, खासतौर पर जवान, कम उम्र में अवकाश प्राप्त कर लेते हैं। आमतौर पर उनके बच्चे बहुत छोटे होते हैं और पेंशन की राशि परिवार के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं होती।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ये अवकाश-प्राप्त सैनिक विभिन्न कौशल का प्रशिक्षण लेकर और अनुशासन के साथ आते हैं और अगर इन्हें विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार दिया गया तो समाज को लाभ होगा।’’
मजूमदार ने कहा कि विभिन्न राज्यों में बने सैनिक कल्याण निदेशालय भूतपूर्व सैनिकों को नयी नौकरी प्राप्त करने में मदद के लिए उनका पंजीकरण करते हैं। उन्होंने इस संबंध में असम सरकार की पहल की प्रशंसा की।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने सरकारी क्षेत्र में ए से डी श्रेणी तक की नौकरियों में भूतपूर्व सैनिकों के लिए दो प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है और सरकारी भूमि पर उद्यम स्थापित करने के इच्छुक पूर्व सैनिकों के लिए विशेष पहल हाल ही में की है।
मजूमदार ने कहा कि सरकारी क्षेत्र अकेले बड़ी संख्या में आकांक्षियों को समाहित नहीं कर सकता है और इस संदर्भ में कॉरपोरेट क्षेत्र से बहुत उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘सैनिक कल्याण निदेशालय के जरिये कॉरपोरेट क्षेत्र में भर्ती का आंकड़ा बहुत उत्साहजनक नहीं है। हम महसूस करते हैं कि इस संदर्भ में और बहुत कुछ किये जाने की जरूरत है।’’
उन्होंने बताया कि असम के सैनिक कल्याण निदेशालय में करीब 41 हजार भूतपूर्व सैनिकों ने अपना पंजीकरण कराया है, जिनमें से नौ हजार ‘वीर नारी’ (दिवंगत जवानों की पत्नी या माता हैं) हैं।