केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सरकार को यह सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किये कि राज्य में संचालित नौकाओं में क्षमता से अधिक यात्री सवार नहीं हों और प्रत्येक नौका पर अधिकतम वहन क्षमता को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाये।
अदालत सात मई को तनूर में हुई नाव दुर्घटना को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दुर्घटना में 15 बच्चों सहित 22 लोगों की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की पीठ ने कहा कि क्षमता से अधिक यात्रियों का सवार होना नौका दुर्घटना के प्रमुख कारकों में से एक है।
अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए हमारे मन में इस बात को लेकर कोई शंका नहीं है कि केरल में प्रत्येक नाव में सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित अधिकतम क्षमता तक ही लोगों के सवार होने की अनुमति दी जाये।’’
पीठ ने निर्देश दिया कि नाव संचालकों को प्रमुख स्थानों पर एक बोर्ड प्रदर्शित करने के लिए कहा जाना चाहिए जिसमें लोगों की अधिकतम संख्या की जानकारी दी जानी चाहिए।
पीठ ने मलप्पुरम जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के सुझाव पर विचार किया कि प्रत्येक नौका को उस बोर्ड को प्रमुखता से प्रदर्शित करने के लिए कहा जाना चाहिए जिसमें नौका में सवार लोगों की अधिकतम संख्या की जानकारी हो और कहा कि इसे ‘‘तुरंत लागू’’ किया जाना चाहिए।
इस बीच अदालत ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता वी. एम. श्यामकुमार को न्यायमित्र नियुक्त किया।
इसने न्यायमित्र की प्रारंभिक टिप्पणियों पर विचार किया कि प्रत्येक नाव में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को अलग-अलग दिखाने वाले यात्रियों की संख्या का एक लिखित रिकॉर्ड होना चाहिए।
अदालत ने कहा, ‘‘उन्होंने (न्यायमित्र) ने यह भी सुझाव दिया कि एक व्यक्ति को यह सुनिश्चित करने का काम भी सौंपा जाना चाहिए कि ‘लाइफ जैकेट’ और ‘लाइफबॉय’ आदि सहित पर्याप्त जीवन रक्षक उपकरण हर नाव में उपलब्ध हों और किसी भी यात्री को इसके बिना यात्रा करने की अनुमति न हो।’’
अदालत ने आज इस मुद्दे पर भी अधिकारियों से जवाब मांगा कि नाव बीमा के दायरे में आती हैं या नहीं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि सात जून तय की।