केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने कर चोरी के एक मामले में एक व्यक्ति से उसके दोस्त को गिरफ्तार नहीं करने के एवज में कथित रूप से एक करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में केंद्रीय माल एवं सेवा कर (सीजीएसटी) के एक वरिष्ठ अधिकारी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
विशेष न्यायाधीश एस. एच. ग्वालानी ने 23 मई को आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘अपराध बहुत गंभीर श्रेणी का है’’ और यह ‘‘बड़ी राशि’’ का मामला है।
विस्तृत आदेश बुधवार को उपलब्ध हुआ।
पिछले महीने, जितेंद्र लूनावत नामक व्यक्ति ने सीबीआई के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सीजीएसटी के एक अज्ञात अधिकारी ने उसके दोस्त अर्पित जगेटिया को गिरफ्तार नहीं करने के लिए एक करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी। जगेटिया सर्राफा कारोबार से जुड़े हुए हैं।
शिकायत में कहा गया कि बातचीत के बाद राशि को घटाकर 50 लाख रुपये कर दिया गया और अदालत के कागजात के अनुसार 25-25 लाख रुपये की दो किस्तों में भुगतान किया जाना था।
सीबीआई के अनुसार जांच से पता चला कि रिश्वत के इस मामले में सीजीएसटी के अपवंचन रोधी अधीक्षक धीरेंद्र कुमार थे।
यह भी पता चला कि आभूषण की दुकान के मालिक ने कुमार की ओर से शिकायतकर्ता से 25 लाख रुपये की पहली किस्त प्राप्त की थी।
कुमार के वकील जीशान सैयद ने दलील दी कि सीजीएसटी अधिकारी को वर्तमान मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है क्योंकि वह जीएसटी चोरी के मामले में फर्जी लेनदेन की जांच कर रहे थे।