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अदालत ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता जारांगे के मुंबई में प्रवेश पर रोक लगाने से इनकार किया

बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे के अपने समर्थकों के साथ मुंबई में प्रवेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया लेकिन महाराष्ट्र सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि नगर की सड़कों पर जाम नहीं हो।
न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार के पास आवश्यक कार्रवाई करने का अधिकार है कि कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब नहीं हो और शहर की सड़कें बाधित नहीं हों।
जारांगे ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने की मांग के साथ 20 जनवरी को जालना जिले में अपने गांव अंतरवाली सराती से मुंबई तक मार्च निकाला है। हजारों समर्थक रास्ते में मार्च में शामिल हुए।
अदालत ने कहा, राज्य सार्वजनिक रास्तों को अवरूद्ध होने से रोकने रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा…

और आंदोलनकारियों के एकत्र होने और उनके शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए उचित स्थान पर एक सार्वजनिक स्थान निर्धारित करने का प्रयास किया जाएगा।
अदालत ने यह आदेश गुणरतन सदावर्ते द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किया गया, जिन्होंने अतीत में मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार के पहले के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था। इस याचिका में उन्होंने जारांगे के शहर में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि इससे कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है।
पीठ ने जारांगे को नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख तय की।

सरकार की ओर से पेश लोक अभियोजक हितेन वेनेगांवकर और महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कहा कि अगर अदालत उचित समझे तो वह इस मार्च को रोक सकती है।
जारांगे ने घोषणा की है कि प्रदर्शनकारी उस समय तक दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में धरना देंगे जब तक कि सरकार उनकी मांग पूरी नहीं कर देती।
सराफ ने अदालत से कहा कि वे कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य भी चिंतित है क्योंकि बड़ी संख्या में लोग मुंबई की ओर मार्च कर रहे हैं।

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