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Yes Milord! SC ने क्यों कहा- हाईकोर्ट के जजों से हुई गलती, तबरेज अंसारी लिंचिंग केस में क्या आया फैसला, ED पर लगाम लगवाने के लिए कोर्ट पहुंचे हरीश साल्वे

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। जहां मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से झटका लगा है। वहीं 1996 लाजपत नगर ब्लास्ट केस में बरी आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई है। झारखंड के बहुचर्चित तबरेज अंसारी लिंचिंग केस में झारखंड की अदालत का बड़ा फैसला सामने आया है। ईडी के खिलाफ मशहूर वकील हरीश साल्वे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। ऐसे में आज आपको सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 03 जुलाई से 07 जुलाई 2023 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

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मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से झटका
गुजरात हाई कोर्ट ने मोदी सरनेम वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करने संबंधी उनकी याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि गांधी पहले ही देशभर में 10 मामलों का सामना कर रहे हैं और निचली अदालत का कांग्रेस नेता को उनकी टिप्पणियों के लिए दो साल कारावास की सजा सुनाने का आदेश न्यायसंगत, उचित और वैध है। अदालत ने कहा कि दोषसिद्धि के फैसले पर रोक लगाने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। यदि दोषसिद्धि पर रोक लग जाती, तो इससे राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता।
भेदभाव गंभीर, यूजीसी ने क्या कदम उठाए 
सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी से पूछा है कि शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने ऐसे मामलों को गंभीर बताया है। रोहित वेमूला, पायल तडवी की मां की अर्जी पर कोर्ट ने यह बात कही। दोनों ने कथित भेदभाव के चलते आत्महत्या कर ली थी। अदालत में रोहित वेमूला और पायल की मां की ओर से अर्जी दाखिल कर जातिगत भेदभाव रोकने के लिए गुहार लगाई गई है। बेंच ने कहा कि यह मामला बेहद संवेदनशील है।
1996 लाजपत नगर ब्लास्ट केस में बरी आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई सजा
27 साल पुराने लाजपत नगर बम ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चारों दोषियों को ताउम्र जेल काटनी होंगी, यानी उन्हें सजा में छूट नहीं मिलेगी। उन्होंने गंभीर अपराध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई में काफी वक्त लगा। स्पीडी ट्रायल समय की मांग है। सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद नौशाद, मिर्जा निसार हुसैन, मोहम्मद अली बट और जावेद अहमद खान को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कहा कि मामला बेहद गंभीर है। बम ब्लास्ट में निर्दोष लोगों की जान गई थी और इसमें आरोपियों का रोल था। सुप्रीम कोर्ट ने दो आरोपियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है, वहीं दो अन्य आरोपियों को भी उम्रकैद की सजा दी है, जिन्हें हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। जबकि इन दोनों को निचली अदालत ने फांसी की सजा दी थी।

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तबरेज अंसारी लिंचिंग केस में सभी 10 दोषियों को दस साल की सजा
झारखंड के बहुचर्चित तबरेज अंसारी लिंचिंग केस में निचली अदालत ने दोषी करार दिए गए दस लोगों को दस-दस साल के सश्रम कारावास और 15-15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। पीड़ित पक्ष ने इस सजा को कम बताते हुए कहा है कि वह इसे ऊपरी अदालत में चुनौती देगा। जून 2019 की दिल दहला देने वाली इस घटना में 24 साल के युवक तबरेज अंसारी को बुरी तरह पीटा गया था। वह पुणे में वेल्डर का काम करते थे और ईद मनाने झारखंड के सरायकेला स्थित अपने गांव धतकीडीह आए हुए थे। वहीं गांव के कुछ लोगों को संदेह हुआ कि तबरेज बाइक चुराने के मकसद से किसी के घर मे घुसे थे। 
ईडी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हरीश साल्वे 
रियल्टी समूह एम3एम के निदेशकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्तारी शक्तियों पर तीखा हमला किया। साल्वे ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि ईडी को कठोर शक्ति दी गई है और अगर अदालतों द्वारा इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो देश में कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा। हरीश साल्वे, वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के साथ, उनके द्वारा दायर एक मामले में दिल्ली एनसीआर स्थित एम3एम रियल एस्टेट डेवलपर्स के निदेशक बसंत बंसल और पंकज बंसल का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। जस्टिस सुंदरेश ने मजाकिया लहजे में कहा कि आप ठीक कह रहे हैं… यह तो चूहे बिल्ली का खेल है। वह भी कानून का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

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