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यूनिटेक के प्रवर्तक संजय चंद्रा की पत्नी प्रीति चंद्रा की जमानत के आदेश पर न्यायालय की अंतरिम रोक

उच्चतम न्यायालय ने धनशोधन के एक मामले में यूनिटेक के प्रवर्तक संजय चंद्रा की पत्नी प्रीति चंद्रा को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर प्रीति चंद्रा को नोटिस जारी किया।
पीठ ने कहा, ‘‘चौदह जून, 2023 के विवादित आदेश पर अमल अगले आदेश तक स्थगित रहेगा। प्रतिवादी के वकील ने कहा है कि उन्हें (प्रतिवादी को) स्वास्थ्य आधार पर अस्थायी जमानत के लिए आवेदन करने की स्वतंत्रता दी जा सकती है।
पीठ ने कहा, ‘‘जब भी इस तरह की अर्जी दी जाएगी, उस पर कानून के अनुसार विचार किया जाएगा।

ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने शुरुआत में अदालत को सूचित किया कि उच्च न्यायालय के आदेश के अमल पर इस आधार पर रोक लगा दी गयी थी कि जमानत आदेश को चुनौती देने वाली याचिका शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है।
उच्च न्यायालय ने 14 जून को प्रीति चंद्रा को जमानत दे दी थी और कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा इसे चुनौती देने के लिए समय मांगे जाने के बाद यह आदेश 16 जून तक प्रभावी नहीं होगा।
ईडी ने 2018 में यूनिटेक समूह और उसके प्रर्वतकों के खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मौजूदा मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कंपनी के मालिकों- ‘संजय चंद्रा और अजय चंद्रा’ ने अवैध रूप से साइप्रस और केमैन द्वीप समूह में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया था।

प्रीति चंद्रा ने पिछले साल अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि वह एक फैशन डिजाइनर और समाजसेवी हैं। प्रीति चंद्रा ने कहा था कि वह चार अक्टूबर, 2021 से हिरासत में हैं और अपराध की किसी भी कमाई से उनका कोई संबंध नहीं है।
मकान खरीदारों ने यूनिटेक समूह और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ दिल्ली पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई थी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को जांच का जिम्मा सौंपा गया था। इन्हीं प्राथमिकियों के सिलसिले में धनशोधन का मामला शुरू हुआ था।
निचली अदालत में आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, प्रीति चंद्रा के खिलाफ आरोप यह है कि उन्होंने अपनी कंपनी प्रकौसली इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड में कुल 107 करोड़ रुपये अपराध से हुई आय के रूप में प्राप्त की, लेकिन यह खुलासा नहीं किया कि पैसे का उपयोग कैसे किया गया।

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