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साइंस कांग्रेस में संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने कहा कि कोविड में स्टेरॉयड के विवेकपूर्ण उपयोग में सबक सीखा

कोविड-19 महामारी के दौरान स्टेरॉयड का अंधाधुंध इस्तेमाल म्यूकरमायकोसिस के मामलों में वृद्धि के पीछे एक प्रमुख कारक था। एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ ने बुधवार को भारतीय विज्ञान कांग्रेस में यह बात कही।
वर्ष 2021 में देश में कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों में गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल संक्रमण म्यूकरमायकोसिस के काफी मामले देखने को मिले थे।
मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में बाल रोग और संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ तनु सिंघल ने कहा कि महामारी ने पर्यावरण को स्वच्छ रखने और स्टेरॉयड जैसी दवाओं के विवेकपूर्ण इस्तेमाल सहित कई सबक सिखाए।

मंगलवार से शुरू हुई पांच दिवसीय विज्ञान कांग्रेस में ‘कोविड-19 से जुड़े माध्यमिक संक्रमण’ पर एक प्रस्तुति देते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की।
सम्मेलन से इतर डॉ सिंघल ने पीटीआई-से कहा कि भारत में मई 2021 तक कोविड-19-संबंधित म्यूकरमायकोसिस के 50,000 से ज्यादा मामले आए थे। डॉ सिंघल ने कहा कि राज्यों के बीच महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में म्यूकरमायकोसिस या ‘ब्लैक फंगस’ संक्रमण के मामले दर्ज किए गए और इसके कई कारण हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इनमें से एक हमारा पर्यावरण है जहां कचरे के सड़ने, उष्णकटिबंधीय जलवायु और आर्द्रता के कारण फंगल रोगाणुओं की संख्या अधिक होती है।’’

संक्रामक रोग विशेषज्ञ ने कहा कि महामारी के मद्देनजर अस्थायी कोविड-19 उपचार केंद्र स्थापित किए गए थे और अस्पतालों में अच्छा ‘वेंटिलेशन’ नहीं था तथा फंगल संक्रमण की ज्यादा आशंका थी।
यह पूछे जाने पर कि कोविड-19 के कम मामलों के बीच क्या म्यूकरमायकोसिस के मामले अब भी आ रहे हैं, डॉ सिंघल ने कहा, ‘‘शायद ही कोई नया मामला हो क्योंकि वायरस (कोरोना वायरस) अब कम संक्रामक है, लोगों को टीका लगाया गया है, बीमारी (कोविड-19) की गंभीरता कम है तथा स्टेरॉयड का इस्तेमाल कम हो गया है।

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