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माकपा ने चेरियन को मंत्रिमंडल में वापस लाने का फैसला किया, कांग्रेस ने की आलोचना

केरल की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत सरकार ने विधायक साजी चेरियन को मंत्रिमंडल में फिर से शामिल करने का फैसला किया है। कांग्रेस ने इस फैसले की आलोचना की है।
कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि वाम दल को यह फैसला लेने से पहले चेरियन के खिलाफ दर्ज मामले में अंतिम फैसला आने का इंतजार करना चाहिए था।
एक आधिकारिक सूत्र ने शनिवार को बताया कि सरकार ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को एक पत्र भेजकर उनसे चार जनवरी को चेरियन को शपथ दिलाने का अनुरोध किया।

एक अन्य आधिकारिक सूत्र ने बताया कि राज्यपाल ने पत्र मिलने के बाद विधायक के खिलाफ लगे आरोपों के मद्देनजर उन्हें शपथ दिलाने के संबंध में कानूनी सलाह मांगी है।
चेरियन ने जुलाई में पथनमथिट्टा जिले में एक भाषण के दौरान कथित तौर पर संविधान के खिलाफ टिप्पणी की थी और इस संबंध में आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
माकपा के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने शनिवार को पुष्टि की कि पार्टी के राज्य सचिवालय ने एक दिन पहले चेरियन को मंत्रिमंडल में फिर से शामिल करने का फैसला किया।

गोविंदन ने पत्रकारों से कहा, “मुख्यमंत्री और राज्यपाल को शपथ ग्रहण समारोह की तारीख तय करनी है।”
उन्होंने यह दावा भी किया कि अदालत की ओर से इस मामले में “सभी फैसले” आ चुके हैं और इसमें ज्यादा कुछ नहीं बचा है।
दूसरी ओर, केरल प्रदेश कांग्रेस समिति (केपीसीसी) के प्रमुख और सांसद के. सुधाकरन ने कहा कि चेरियन को पुन: मंत्री बनाया जाना अस्वीकार्य है और उनकी पार्टी तथा यूडीएफ दोनों चार जनवरी को ‘काला दिवस’ के तौर पर मनाएगी।
सुधाकरन ने कन्नूर में पत्रकारों से कहा कि माकपा यह कैसे तय कर सकती है कि वामपंथी विधायक ने अपने भाषण से संविधान का उल्लंघन या अपमान नहीं किया था।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सांसद के मुरलीधरन ने कहा कि चेरियन को मंत्रिमंडल में वापस लाने का मुख्यमंत्री का फैसला “गलत” है और सरकार को पूर्व मंत्री के खिलाफ आपराधिक मामले में अदालत के आदेश का इंतजार करना चाहिए था।
उन्होंने दावा किया, “यह सही नहीं है। उन्होंने (चेरियन ने) संविधान की आलोचना नहीं, बल्कि अपमान किया। मार्क्सवादी पार्टी ने अदालत के फैसले का इंतजार किए बिना मनमाने ढंग से उन्हें मंत्रिमंडल में वापस लाने का फैसला किया है।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी चेरियन को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल करने संबंधी माकपा के फैसले का विरोध किया और इसे संविधान विरोधी बताया।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने पत्रकारों से कहा कि चेरियन की पुन: नियुक्ति दिखाती है कि सरकार संविधान का सम्मान नहीं करती है।
इससे पहले, चेरियन ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें माकपा के इस फैसले की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने भारतीय संविधान का अपमान नहीं किया था।
चेरियन ने कहा कि वह संविधान का बड़ा सम्मान करते हैं, वह एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं और पूरी तरह लोकतंत्र में यकीन रखते हैं।

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