भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत संस्कृति के लिए व्यक्त चार प्राथमिकताओं में से प्रत्येक एक ऐसी तस्वीर बनाती है, जिसमें सांस्कृतिक विरासत अतीत का स्तंभ और भविष्य का मार्ग दोनों है। केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने शनिवार को यह बात कही।
वाराणसी में जी20 संस्कृति मंत्रियों की बैठक में मंत्रियों और अन्य प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संस्कृति कार्य समूह की बैठक और वैश्विक विषयगत वेबिनार के हिस्से के रूप में हुई चर्चाएं और विचार-विमर्श ‘‘उल्लेखनीय और प्रेरणादायक’’ रहे हैं।
संस्कृति मंत्रियों की बैठक का उद्देश्य संस्कृति के लिए चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर प्रगति में तेजी लाने के लिए सामूहिक कार्यों को उत्प्रेरित करना है, जिनमें सांस्कृतिक संपत्ति की सुरक्षा और बहाली, टिकाऊ भविष्य के लिए जीवंत विरासत का उपयोग, सांस्कृतिक एवं रचनात्मक उद्योगों और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और संस्कृति की सुरक्षा और संवर्धन के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना शामिल है।
रेड्डी ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘हम चार प्राथमिकताओं की पहचान करने और उन पर विचार-विमर्श करने से लेकर कार्य-उन्मुख परिणामों की ओर बढ़े हैं, जो संस्कृति को वैश्विक नीति निर्धारण के केंद्र में रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।’’
यह बैठक नौ और 10 सितंबर को दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन से पहले हुई है।
संस्कृति कार्य समूह (सीडब्ल्यूजी) की पहली बैठक मध्य प्रदेश के खजुराहो में हुई, इसके बाद दो और बैठकें ओडिशा के भुवनेश्वर और कर्नाटक के हम्पी में हुईं।
संस्कृति कार्य समूह की चौथी और आखिरी बैठक 24-25 अगस्त को हुई, जिसका समापन शनिवार को यहां मंत्रिस्तरीय बैठक के साथ हुआ।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने कहा, ‘‘जब मैं यहां इस खूबसूरत शहर वाराणसी में भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत संस्कृति मंत्रियों की बैठक को संबोधित कर रहा हूं तो मैं अत्यधिक गर्व से भर गया हूं। दुनिया के सबसे पुराने शहरों में शुमार वाराणसी, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रमाण के रूप में मौजूद है।’’
उन्होंने प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत का ‘‘आध्यात्मिक हृदय’’ होने के नाते, वाराणसी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जो हजारों साल पुरानी है।