क्या हिंदू अब अपने ही देश में सुरक्षित नहीं रह गया है? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि दिल्ली के जामिया मिलिया विश्वविद्यालय से धर्मांतरण का दबाव डालने का मामला सामने आया है। आरोपों के अनुसार विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी ने संस्थान के 3 लोगों के खिलाफ जातिगत टिप्पणी, भेदभाव और जबरन धर्मांतरण का दबाव डालने को लेकर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस के मुताबिक जामिया मिल्लिया इस्लामिया के एक प्रोफेसर, एक कार्यवाहक रजिस्ट्रार और एक पूर्व रजिस्ट्रार पर विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता ने 15 जुलाई को जामिया नगर थाने में तहरीर दी थी जिसके बाद एससी/एसटी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि एक प्रोफेसर, एक कार्यवाहक रजिस्ट्रार और विश्वविद्यालय के एक पूर्व रजिस्ट्रार ने कई मौकों पर उसका उत्पीड़न किया। उसने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय में काम करते समय उसे आरोपियों की जातिसूचक टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसका उत्पीड़न किया गया और प्रशासनिक कारणों के बहाने विश्वविद्यालय में कई बार उसका तबादला किया गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है। वहीं, जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने एक बयान में कहा, ”प्राथमिकी पूरी तरह से निराधार और झूठी है। शिकायतकर्ता एक आदतन वादी है, जिसने विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे को चुनौती देने सहित कई अन्य मुकदमे दायर किए हैं और वह विश्वविद्यालय के सुचारू कामकाज में बाधा डालने की पूरी कोशिश कर रहा है। यह विश्वविद्यालय और वर्तमान प्रशासन को अस्थिर करने का एक प्रयास है।” विश्वविद्यालय ने कहा, “प्राथमिकी में एससी/एसटी अधिनियम की अनिवार्य आवश्यकताओं का उल्लेख नहीं किया गया है, इसलिए विश्वविद्यालय उचित कानूनी उपाय अपनाएगा और अपने कर्मचारियों को इस प्रकार की दबावपूर्ण रणनीति से बचाएगा।”
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हम आपको यह भी बता दें कि जामिया के नेचुरल साइंस डिपार्टमेंट में कार्यरत कर्मचारी रामनिवास सिंह का आरोप है कि तीन प्रोफेसरों ने उसके अनुसूचित जाति का हिंदू होने पर पहले तो जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल करते हुए अभद्रता की और उसके बाद इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाया। इसके बाद पीड़ित ने जामिया नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई।
बहरहाल, इस मामले पर टिप्पणी करते हुए उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि धर्मांतरण रोकना है तो धर्मांतरण कराने वाले जिहादियों-मिशनरियों और उनके मददगारों पर NSA, UAPA, Waging War, देशद्रोह और गैंगस्टर ऐक्ट लगाना होगा। उन्होंने कहा कि जबरन धर्मांतरण कराने वालों की नागरिकता खत्म करिए, 100% संपत्ति जब्त करिए और आजीवन कारावास दीजिए तभी हालात में बदलाव आयेगा।