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Kejriwal की जमानत पर चल रही थी बहस, फिर अचानक हुआ खालिस्तानी अमृतपाल सिंह का जिक्र, जानें कोर्ट में क्या-क्या हुआ

दिल्ली शराब नीति मामले में 21 मार्च से जेल में बंद अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई है। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने केजरीवाल को जमानत दी है। केजरीवाल के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि रिजल्ट तो 4 जून को आएगा। उन्होंने एक तरह से जमानत को आगे बढ़वाने की कोशिश की। जिस पर जज ने कहा कि कैंपेनिंग तो 48 घंटे पहले ही बंद हो जाती है। जब जमानत की बातें तय हो गई तब ईडी की तरफ से कहा गया कि इसमें कुछ शर्तें तो होनी चाहिए। उसमें एक शर्त ये थी कि केजरीवाल जितने दिन भी जमानत पर बाहर रहेंगे उसमें वो केस के मामले में कुछ बोलेंगे नहीं। जिस पर जज ने कहा कि संजय सिंह के मामले की तरह आप इसमें भी शर्तें ट्रायल कोर्ट से तय करवा सकते हैं। 

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इससे पहले कल खबर आई थी कि ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था और उसमें केजरीवाल की अंतरिम जमानत का विरोध किया गया था।  ईडी ने अपने हलफनामे में कहा कि चुनाव प्रचार का अधिकार कोई मौलिक, संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है। ईडी की जानकारी में किसी भी राजनीतिक नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार न हो। इसमें सबसे बड़ी दलील ईडी की तरफ से ये दी गई थी कि पिछले तीन वर्षों में लगभग 123 चुनाव हुए हैं और अगर चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है क्योंकि चुनाव पूरे साल होते हैं।

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कोर्ट में एसजी मेहता ने इसी तर्क को आगे बढ़ाया। अमृतपाल ने भी पंजाब हरियाणा कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। एसजी मेहता ने कहा कि अब तो हमारे पास अमृतपाल भी आ गया है। इसी तरह से चलता रहेगा। जिस पर जस्टिस संजीव खन्ना की तरफ से कहा गया कि वो मामला बिल्कुल अलग है और ये अलग है। आपको बता दें कि कोर्ट की तरफ से पहले भी कहा जा चुका है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं केजरीवाल और वो कोई आदतन अपराधी या आतंकवादी नहीं हैं। कोर्ट ने इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए जमानत दे दी। 

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