कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा कथित तौर पर विनायक दामोदर सावरकर की गई टिप्पणी के बाद उनपर मानहानि मामला दायर किया गया है। इसी कड़ी में सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने पुणे की एक सत्र अदालत में एक आवेदन दायर कर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के मामले को “सक्षम अदालत” में स्थानांतरित करने की मांग की है।
सात्यकी ने इस साल अप्रैल में लंदन में हुए एक कार्यक्रम में सावरकर के खिलाफ कथित दुर्भावनापूर्ण टिप्पणी को लेकर पुणे की एक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था। अब इस मामले में सात्यकी ने अदालत के सामने एक आवेदन भी दायर किया है। इसमें उन्होंने मामले की सुनवाई करने वाली न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी) की अदालत इस मामले को बोझ समझ रही है। सात्यकी ने आशंका व्यक्त कि की इस मामले में “निष्पक्ष और तर्कसंगत न्याय नहीं मिलेगा।”
जानकारी के मुताबिक सात्यकी ने यह निष्कर्ष हाल की सुनवाई के दौरान जेएमएफसी अदालत द्वारा व्यक्त किये गये विचारों के आधार पर निकाला है। इसलिए हमने उक्त कार्यवाही को किसी अन्य सक्षम न्यायालय में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है। बता दें कि इस मामले में सत्र अदालत के समक्ष आवेदन स्वीकार कर लिया गया है और सोमवार को सुनवाई होने की संभावना है। ये जानकारी सात्यकी के वकील संग्राम कोल्हटकर ने दी है। 40 वर्षीय सात्यकी वी डी सावरकर के भाई नारायण दामोदर सावरकर के पोते हैं।
सात्यकी के मुताबिक, ”इस साल मार्च में लंदन में एक कार्यक्रम में बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि विनायक दामोदर सावरकर ने एक किताब लिखी है जिसमें लिखा है कि वह और उनके पांच-छह दोस्त एक मुसलमान के साथ मारपीट कर रहे थे और इससे प्रसन्न हो रहे थे। इसके बाद राहुल गांधी ने पूछा था कि क्या ये कदम कायरतापूर्ण नहीं है? इस पर सावरकर ने ऐसी कोई किताब नहीं लिखी है जैसा कि उनका दावा है और न ही ऐसी कोई घटना कभी हुई है।
सात्यकी ने अपनी याचिका में कहा, “इस मामले के आरोपी राहुल गांधी, उन कारणों से जो सबसे अच्छी तरह से जानते हैं, कई वर्षों से विभिन्न अवसरों पर स्वर्गीय विनायक दामोदर सावरकर को बार-बार बदनाम कर रहे हैं और गाली दे रहे हैं। उन्होंने जानबूझकर विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ झूठे, दुर्भावनापूर्ण और बेबुनियाद आरोप लगाए हैं, यह पूरी तरह से जानते हुए भी कि उक्त आरोप असत्य हैं, प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और उपनाम सावरकर को बदनाम करने के उद्देश्य से किया गया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने जानबूझकर ये शब्द और वाक्य कहे हैं जो उसके परिवार के सदस्यों और नजदीकी रिश्तेदारों, स्वर्गीय सावरकर के अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले थे और इससे दो धर्मों के बीच सांप्रदायिक चिंगारी भी भड़क सकती थी।’