दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल शहरी परिवहन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में 400 नई इलेक्ट्रिक बसों को हरी झंडी दिखाई। इस अतिरिक्त के साथ, दिल्ली में अब कुल मिलाकर 800 इलेक्ट्रिक बसें हैं, जिससे यह सबसे अधिक इलेक्ट्रिक बसों वाला भारतीय शहर बन गया है। दिल्ली सरकार ने कुल 1,500 इलेक्ट्रिक बसों का ऑर्डर दिया है, जिनमें से 921 बसों को फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) योजना के तहत सब्सिडी मिली है। दिल्ली को यह उपहार जी20 की बैठक से ठीक पहले मिला है।
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12 वर्षों में इन 921 बसों की परिचालन लागत 4,091 करोड़ रुपये अनुमानित है, जिसमें केंद्र सरकार FAME सब्सिडी के रूप में 417 करोड़ रुपये प्रदान करती है, जबकि दिल्ली सरकार 3,674 करोड़ रुपये वहन करती है। इसके बाद केजरीवाल ने ने एक ट्वीट में कहा कि माननीय उपराज्यपाल के साथ मिलकर आज 400 नई इलेक्ट्रिक बसों को हरी झंडी दिखाकर दिल्ली की जनता को सौंपा। उन्होंने कहा कि ये बसें सब्सिडी स्कीम की 921 बसों में शामिल हैं, जिनके लिए केंद्र सरकार की ओर से 417 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है और दिल्ली सरकार 3674 करोड़ रुपये खर्च करेगी। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली की सड़कों पर अब कुल 800 इलेक्ट्रिक बसें हैं, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। हमारा लक्ष्य 2025 के अंत तक दिल्ली में कुल 8,000 इलेक्ट्रिक बसें लाने का है। उस समय दिल्ली में 10,000 से अधिक बसें होंगी, जिनमें से 80% इलेक्ट्रिक बसें होंगी।
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2023 के अंत तक, दिल्ली का लक्ष्य अपने इलेक्ट्रिक बस बेड़े को 1,900 तक बढ़ाना है, जिससे यह विश्व स्तर पर सबसे अधिक इलेक्ट्रिक बसों वाले शहरों में से एक बन जाएगा। 2025 को देखते हुए, दिल्ली में कुल 10,480 बसें रखने की योजना है, जिसमें बेड़े का 80 प्रतिशत, या 8,280 बसें इलेक्ट्रिक होंगी। इस परिवर्तन से सालाना 4.67 लाख टन CO2 उत्सर्जन की बचत होने का अनुमान है, जिसमें 12 वर्षों में 5.6 मिलियन टन की आजीवन बचत होगी। दिल्ली में अब 7,135 बसों का बेड़ा है, जिसमें दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के तहत 4,088 बसें और दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मोडल ट्रांजिट सिस्टम (डीआईएमटीएस) के तहत 3,047 बसें शामिल हैं। इनमें से 800 इलेक्ट्रिक बसें हैं, जो वायु प्रदूषण से निपटने और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के शहर के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।