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धनशोधन मामले में एम3एम के निदेशकों की गिरफ्तारी में दखल देने से दिल्ली उच्च न्यायालय का इनकार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक पूर्व न्यायाधीश और अन्य के खिलाफ कथित रिश्वत मामले से जुड़े धन शोधन मामले में गुरुग्राम के रियल्टी समूह एम3एम के निदेशकों बसंत बंसल और पंकज बंसल की गिरफ्तारी में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बुधवार को गिरफ्तार किये गये और पंचकूला की एक विशेष अदालत द्वारा पांच दिन की हिरासत में भेजे गये एम3एम निदेशकों ने दलील दी कि उनकी गिरफ्तारी से उच्च न्यायालय के उस आदेश की अनदेखी की गई है, जिसमें उन्हें धनशोधन के एक अन्य मामले में किसी कठोर कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया गया था।

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को एक निचली अदालत ने गिरफ्तारी के बाद ईडी की हिरासत में भेज दिया है और वह इसकी वैधता तय नहीं कर सकती क्योंकि यह आदेश उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर की एक अदालत ने पारित किया है।याचिकाकर्ताओं की रिहाई के अनुरोध संबंधी याचिका पर न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मेरा विचार है कि एक बार पंचकूला में सक्षम क्षेत्राधिकार की अदालत द्वारा रिमांड का आदेश पारित कर दिया गया है, तो बेहतर उपाय पंजाब और हरियाणा के उच्च न्यायालय से संपर्क करना है।’’
अदालत ने गिरफ्तारी के खिलाफ मुख्य याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए ईडी को 10 दिन का समय दिया है।
अदालत ने कहा, ‘‘हम नोटिस जारी करेंगे। मेरा क्षेत्राधिकार क्षेत्र मुझे प्रतिबंधित करता है।

मैं यह नहीं कह सकता कि यह आदेश सही नहीं है।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, एन हरिहरन और मोहित माथुर याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए और दलील दी कि एम3एम निदेशकों को तब गिरफ्तार किया गया था जब वे उच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर धनशोधन के एक अन्य मामले में जांच में सहयोग करने के लिए एजेंसी के कार्यालय गए थे।
उच्च न्यायालय ने नौ जून को रियल एस्टेट फर्म आईआरईओ से जुड़े धनशोधन मामले में बसंत बंसल और पंकज बंसल को पांच जुलाई तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था।
मामले में अगली सुनवाई जुलाई में होगी।

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