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दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व अधिकारी की याचिका पर एम्स से जवाब मांगा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एम्स से उसके पूर्व मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) की याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें उनके बीच चल रही कानूनी लड़ाई में संस्थान पर झूठी गवाही देने का आरोप है।

न्यायमूर्ति सी हरि शंकर और न्यायमूर्ति अजय दिगपॉल की पीठ ने संजीव चतुर्वेदी की याचिका पर एम्स को नोटिस जारी किया है। संजीव चतुर्वेदी ने यह याचिका दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 340 के तहत दायर की है।

पीठ ने 24 फरवरी को पारित आदेश में कहा, ‘‘नोटिस जारी करें.. यदि कोई उत्तर हो, तो उसे चार सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए, जिसकी अग्रिम प्रति याचिकाकर्ता के विद्वान वकील को दी जाए, जो चार सप्ताह के भीतर उस पर प्रत्युत्तर दाखिल कर सकते हैं।’’

याचिकाकर्ता ने कहा कि एम्स ने वित्त वर्ष 2014-15 के लिए अपनी वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट लिखने के ‘चैनल’ से संबंधित उनकी याचिका के जवाब में 17 अगस्त, 2016 को दाखिल अपने जवाबी हलफनामे में ‘झूठे बयान’ दिए हैं।

याचिकाकर्ता 2012 से 2014 के बीच एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी थे और उन्होंने चिकित्सा संस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी।
उन्हें 2016 में उनके कार्यकाल की समाप्ति से पहले अगस्त 2014 में पद से मुक्त कर दिया गया था।
चतुर्वेदी भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं, जिन्हें 2015 में रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी।

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