दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने मंगलवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार के कारण दिल्ली-एनसीआर में जीआरएपी चरण-III प्रतिबंधों को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है। सीएक्यूएम ने बताया कि जीआरएपी चरण-III की वापसी के साथ, दिल्ली में निर्माण-विध्वंस परियोजना स्थलों और उद्योग संचालन फिर से शुरू कर सकते हैं। सीएक्यूएम ने यह भी कहा कि पूर्वानुमानों से यह संकेत नहीं मिलता कि दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता आने वाले दिनों में ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच जाएगी।
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राष्ट्रीय राजधानी तथा इससे सटे इलाकों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण हुई बारिश तथा हवा की अनुकूल गति की वजह से वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ। शहर के प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग वेधशाला ने सोमवार रात साढ़े आठ बजे तक 7.2 मिमी बारिश दर्ज की। मंगलवार को भी कई इलाकों में बारिश दर्ज की गई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने कहा कि हवा की गति सुधरकर 20 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई, जिससे प्रदूषक तत्वों के बिखराव में मदद मिली।
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राष्ट्रीय राजधानी में नवंबर, 2023 में अब तक 10 दिनों में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रही है। शहर में पिछले वर्ष नवंबर में ऐसे केवल तीन दिन थे जबकि वर्ष 2021 में इस तरह के 12 दिन दर्ज किए गए जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा निगरानी शुरू करने के बाद सबसे अधिक है। सीपीसीबी के अनुसार, गंभीर श्रेणी वाले दिन नवंबर 2020 में नौ, 2019 में सात, 2018 में पांच, 2017 में सात, 2016 में 10 और 2015 में छह थे। दिल्ली सरकार और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर की एक संयुक्त परियोजना के अनुसार, जैव ईंधन जलाना दिल्ली की खराब हवा का शीर्ष कारण था, जिसका पिछले कुछ दिनों में राजधानी के वायु प्रदूषण में योगदान 31 से 51 प्रतिशत रहा।