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Delhi में बाढ़ से निबटने में Kejriwal के छूटे पसीने, Uttarakhand में भी लगातार वर्षा से हालात खराब, Himachal में राहत कार्यों में आई तेजी

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है तो दूसरी ओर पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी भारी वर्षा के चलते हालात दुश्वार बने हुए हैं। जहां तक दिल्ली की बात है तो आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी के बाढ़-संभावित क्षेत्रों में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी, क्योंकि यमुना नदी का जलस्तर 207.55 मीटर तक बढ़ गया। इससे पहले 1978 में यमुना नदी का जलस्तर यहां रिकॉर्ड 207.49 मीटर तक पहुंचा था। इस बीच, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने एक परामर्श जारी कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है और निचले इलाकों में आवाजाही न करने की चेतावनी दी है। इसमें कहा गया है कि चूंकि यमुना नदी में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है, इसलिए लोगों को बिजली लाइन से दूर रहना चाहिए और किसी भी जरूरत की स्थिति में हेल्पलाइन नंबर- 1077 पर संपर्क करना चाहिए। दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी बाढ़ की स्थिति और निवारक उपायों का जायजा लेने के लिए राहत शिविरों का दौरा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार नदी के तटबंधों को मजबूत कर रही है और लोगों को बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों से बाहर निकाल रही है।
दिल्ली के हालात
अधिकारियों के मुताबिक, वजीराबाद में सिग्नेचर ब्रिज के पास गढ़ी मांडू गांव जलमग्न हो गया है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है और बाकी को नावों की मदद से बचाया जा रहा है। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जलस्तर और बढ़ने की आशंका है। इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन कर अपनी सरकार की ओर से उठाये जा रहे कदमों की जानकारी देते हुए गृह मंत्री अमित शाह से अपील की कि आइए मिलकर काम करें क्योंकि जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले दिल्ली में बाढ़ की खबर से दुनिया में अच्छा संदेश नहीं जायेगा।

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हिमाचल प्रदेश के हालात
दूसरी ओर, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया है कि मूसलाधार बारिश की वजह से कुल्लू जिले के कसोल में फंसे करीब दो हजार पर्यटकों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि लाहौल में फंसे 300 पर्यटक वाहन अपने-अपने गंतव्यों के लिए रवाना हो चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि कुल्लू-मनाली मार्ग मंगलवार शाम को खोला गया और करीब दो हजार वाहनों ने कुल्लू को पार किया। मनाली और उसके उपनगरों के आस-पास के इलाकों में पिछले दो दिन से मोबाइल सिग्नल नहीं था और पर्यटक अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पा रहे थे। सुक्खू ने कहा, ‘अब तक कसोल में फंसे दो हजार से ज्यादा लोगों को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया है। हमारे दल कसोल-भुंतर मार्ग पर दुन्खरा में हुए भूस्खलन के मलबे को साफ करने का अथक प्रयास कर रहे हैं। जिला प्रशासन मौके पर राहत प्रयासों में समन्वय कर रहा है। कुल्लू को सफलतापूर्वक पार करने वाले 2200 से ज्यादा वाहनों को रामशिला चौक पर खाद्य सामग्री मुहैया कराई जा रही है।’
हम आपको बता दें कि भूस्खलन और बाढ़ की वजह से कुल्लू और लाहौल के बहुत से हिस्सों में सड़कें या तो पानी में बह गईं या मलबे की वजह से बाधित हो गई थीं, जिस कारण भारी संख्या में पर्यटक फंस गए थे। फंसे हुए लोगों को होटलों, विश्रामघरों, होम स्टे और दूसरे गंतव्य स्थानों पर ठहराया गया था। कई होटलों और पर्यटन इकाइयों ने फंसे हुए पर्यटकों को मुफ्त रहने और भोजन की पेशकश की और सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अपने होटलों के पते और संपर्क नंबर साझा किए। प्राकृतिक आपदा की वजह से पर्यटकों के लिए छुट्टियाँ एक बुरे सपने की तरह थीं। बताया जा रहा है हिमाचल प्रदेश को इस प्राकृतिक आपदा की वजह से अनुमानित 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
उत्तराखंड के हालात
दूसरी ओर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के द्रष्टिगत लोगों से अनावश्यक यात्रा करने से बचने का अनुरोध करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने फंसे लोगों की सहायता के लिए आपदा राहत फोन नंबर जारी किए हैं। धामी ने कहा, ‘प्रदेश के विभिन्न स्थानों एवं हिमाचल प्रदेश में फंसे उत्तराखंड के नागरिकों की सहायता के लिये हमारी सरकार ने आपदा राहत नम्बर जारी किए हैं।’ उन्होंने प्रदेश के सभी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के दृष्टिगत प्रदेशवासियों तथा तीर्थयात्रियों से अनावश्यक यात्रा करने से बचने का एक बार फिर अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा नियंत्रण कक्ष में 24 घंटे सभी जिलों से सड़क मार्ग एवं बारिश के स्थिति के बारे में वह स्वयं जानकारी ले रहे हैं और सभी जगह जिला प्रशासन एवं राज्य आपदा प्रतिवादन बल को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।

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