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Delimitation Dispute: BJP अपनी चुनावी सुविधा के अनुरूप पक्षपातपूर्ण निर्वाचन आयोग चाहती है : Gaurav Gogoi

गुवाहाटी। लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने बुधवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पक्षपातपूर्ण निर्वाचन आयोग चाहती है ताकि वे असम में परिसीमन प्रक्रिया को अपनी चुनावी सुविधा के अनुसार तैयार कर सकें।
गोगोई ने पत्रकारों से कहा कि राज्य में परिसीमन प्रक्रिया की समीक्षा वर्तमान में उच्चतम न्यायालय कर रहा है लेकिन निर्वाचन आयोग ने अंतिम आदेश का इंतजार नहीं किया और परिसीमन सूची प्रकाशित करने के लिए आगे बढ़ गया।

उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय में एक मामला लंबित है और निर्वाचन आयोग को विशिष्ट स्पष्टीकरण देने को कहा गया। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्पष्टीकरण देने के बजाय, उन्होंने परिसीमन सूची प्रकाशित की है।’’
गोगोई ने कहा कि निर्वाचन क्षेत्रों की परिसीमन सूची भाजपा और एआईयूडीएफ की मदद के लिए तैयार की गई है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, एक नया विधेयक पेश किया गया है जिसके तहत भारत के प्रधान न्यायाधीश को चुनाव आयुक्तों का चयन करने वाली समिति से हटा दिया गया है, जो दर्शाता है कि भाजपा निष्पक्ष निर्वाचन आयोग नहीं चाहती है।

गोगाई ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि भाजपा नहीं चाहती कि निर्वाचन आयोग के सदस्यों के चयन में प्रधान न्यायाधीश की कोई भूमिका हो। वे एक पक्षपाती निर्वाचन आयोग चाहते हैं ताकि वे अपनी चुनावी सुविधा के अनुसार परिसीमन प्रक्रिया को तैयार कर सकें।’’
उन्होंने कहा कि भाजपा ‘‘निर्वाचन आयोग का पूरी तरह से राजनीतिकरण करना चाहती है, निर्वाचन आयोग के प्रभाव को खत्म करना चाहती है और जिस तरह से निर्वाचन आयोग ने काम किया है, वह देश की शीर्ष अदालत का एक तरह से अपमान है।’’

उन्होंने कहा कि इसका 2024 के लोकसभा चुनावों के नतीजों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि जनता का समर्थन विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के पक्ष में नजर आता है।
गोगोई ने कहा, ‘‘लोगों ने देखा है कि कैसे भाजपा ने मणिपुर के लोगों को धोखा दिया है और लोग कैसे जबरदस्त महंगाई सामना कर रहे हैं। हमारा मानना है कि परिसीमन प्रक्रिया के बावजूद, आगामी चुनावों में ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) गठबंधन पूरे देश में अच्छा प्रदर्शन करेगा।’’
निर्वाचन आयोग ने परिसीमन की कवायद की थी।

निर्वाचन आयोग ने 11 अगस्त को अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें मसौदा अधिसूचना में उल्लेखित एक संसदीय और 19 विधानसभा क्षेत्रों के नाम बदलते हुए विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 126 और लोकसभा सीटों की संख्या 14 बरकरार रखी गई है।
निर्वाचन आयोग ने 19 विधानसभा सीट और दो लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित की थी, जबकि एक लोकसभा और नौ विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित किए गए हैं।
वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर राज्य के सभी विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन (फिर से तैयार) किया गया है।
असम में अंतिम परिसीमन प्रक्रिया 1971 की जनगणना के आधार पर 1976 में हुई थी।

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