देश में समान बैंकिंग संहिता की मांग को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर आज न्यायालय में सुनवाई हुई। हम आपको बता दें कि इस याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि विदेशी कोष के स्थानांतरण के लेकर प्रणाली में कुछ खामियां हैं जिनका फायदा अलगाववादी, नक्सली, माओवादी और आतंकवादी उठाते हैं। उनका कहना है कि समान बैंकिंग संहिता देश के लिए जरूरी है। हम आपको बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी। उपाध्याय ने केंद्र सरकार से निवेदन किया है कि उससे पहले वह यूनिफॉर्म बैंकिंग कोड लायें क्योंकि विदेशी बैंक NEFT-RTGS के जरिए विदेशी लेनदेन कर रहे हैं इसलिए आरबीआई को अवैध विदेशी फंडिंग का पता ही नहीं चलता है।
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हम आपको बता दें कि अपनी याचिका में उपाध्याय ने दलील दी है कि जब वीजा के लिए आव्रजन नियम समान हैं तो विदेशी मुद्रा लेन-देन के लिए विदेशी बैंक शाखाओं सहित भारतीय बैंकों में जमा विवरण एक ही प्रारूप में होना चाहिए चाहे वह चालू खाते में निर्यात भुगतान हो या बचत खाते में वेतन। अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि अवैध विदेशी मुद्रा लगभग 50 हजार करोड़ रुपए सालाना आती है। उन्होंने कहा कि जब अदालत ने हमसे इस मामले में तथ्य देने को कहा कि मीडिया में जो तथ्य सामने आये हैं वह तो हमने आपके समक्ष प्रस्तुत कर दिये हैं लेकिन ज्यादा तथ्य सरकार के पास मिलेंगे क्योंकि गृह मंत्रालय ने एक लाख एनजीओ का लाइसेंस रद्द किया जिसमें से अधिकांश फंडिंग के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में रद्द किये गये थे। उन्होंने कहा कि हमने अदालत से कहा है कि इससे संबंधित आंकड़े गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग प्रस्तुत कर सकते हैं।