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Shaurya Path: PoK, Indian Army, Israel-Hamas war, और Russia-Ukraine से जुड़े मुद्दों पर चर्चा

प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम शौर्यपथ में हमेशा की तरह ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में हमने देश और दुनिया में हो रहे हलचल पर उनसे सवाल पूछा। इस दौरान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हुए बवाल को लेकर भी सवाल पूछा। साथ ही साथ हमने भारतीय सेना और थिएटर कमान बनाने की प्रक्रिया पर भी ब्रिगेडियर त्रिपाठी से अधिक जानकारी लेनी चाही। इसके अलावा ब्रिगेडियर त्रिपाठी से हमने यूक्रेन और रूस युद्ध तथा इसराइल और हमास युद्ध पर भी सवाल पूछे। सभी सवालों पर ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने खुलकर जवाब दिया। 
 

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– इस सवाल के जवाब में ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर के लोग नाराज हैं। पाकिस्तान के पास पीओके के लिए कुछ भी नहीं बचा है। वहां महंगाई है, खाने को नहीं मिल रहा, इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरीके से डैमेज है, कोई काम नहीं हो रहा है। पाकिस्तान वहां के रिसोर्सेज को इस्तेमाल तो कर रहा है लेकिन वहां के विकास पर ध्यान नहीं दे रहा। सिर्फ एलीट क्लास को फायदा हो रहा है जबकि स्थानीय लोग लगातार संघर्ष की जिंदगी जी रहे हैं। शिक्षा का कोई स्कोप नहीं है। गरीबों को कोई नहीं सुन रहा है। भ्रष्टाचार पूरी तरीके से बढ़ चुका है। इसीलिए समय-समय पर पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर के लोग अपनी आवाज उठाते रहे हैं। हालांकि पाकिस्तानी सेना इस आवाज को दबाने की कोशिश करती है। लेकिन इस बार यह आवाज मुखर है। उन्होंने कहा कि इसकी बड़ी वजह यह भी है कि वहां के लोग यह देख रहे हैं कि हमारे पड़ोस में जो भारत का कश्मीर है वहां जबरदस्त विकास हो रहा है। खुशहाली देखने को मिल रही है। पत्थर बाजी और आतंकी घटनाएं कम हो गई हैं। इसलिए पीओके के लोग भारत से मदद की उम्मीद भी कर रहे हैं। पाकिस्तान पीओके को सिर्फ आतंकवादियों की प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल करता है। वहां के रिसोर्सेस का फायदा उठाता है। यही कारण है कि अब वहां आजादी की मांग उठने लगी है। 

– इसराइल-हमास को लेकर ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि यह खत्म होता दिखाई नहीं दे रहा है। इसराइल राफा तक पहुंच गया है। बावजूद इसके नेतन्याहू रुकना नहीं चाहते हैं और हमास भी खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में इस युद्ध के खत्म होने के आसार दूर-दूर तक फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं। लेकिन इस युद्ध की वजह से मानवीय त्रासदीक भयंकर हुई है। इसकी वजह से इजरायल की पूरी दुनिया में आलोचना भी हो रही है। अमेरिका भी परेशान है। अमेरिका नेतन्याहू की नीतियों का खुलकर विरोध कर रहा है। बावजूद इसके वह इसराइल को मदद भी दे रहा है। ऐसे में अमेरिका की यह दोहरी नीति क्यों है, उसका जवाब वही दे सकता है। लेकिन नेतन्याहू फिलहाल किसी भी प्रेशर में आने वाले नहीं है। वे हमास के खिलाफ अपनी कार्यवाही जारी रखेंगे। इसका बड़ा कारण यह भी है कि इसराइल का राइट विंग फिलहाल चाहता भी है कि हमास को जड़ से खत्म कर दिया जाए। अमेरिका बार-बार मदद का ऐलान कर रहा है। लेकिन वह किसकी मदद कर रहा है। इजराइल की, वहां के आम लोगों की या गाजा की क्योंकि अमेरिका भी दू नेशन थिअरी को सपोर्ट करता है। लेकिन इसराइल चाहता है कि गाजा पर उसी का कंट्रोल रहे। ऐसे में जब तक इजराइल में नेतन्याहू की सरकार है। अमेरिका भी मजबूर है। 

– ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि यूक्रेन पूरी तरीके से हेल्पलेस नजर आ रहा है। रूस लगातार यूक्रेन में आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा। यूक्रेन की जगह पर कब्जा कर रहा। रूस की नजर खारकीव पर है। वह खारकीव के बेहद नजदीक पहुंच चुका है। यूक्रेन पलटवार की कोशिश कर रहा है। लेकिन रूस पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता दिखाई दे रहा है। इसका बड़ा कारण यह है कि यूक्रेन के पास फिलहाल हथियार नहीं है। सेना नहीं है जो लोग वहां मौजूद हैं वह भी अब कहीं ना कहीं होपलेस दिखाई दे रहे हैं। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि यूक्रेन को मदद के जो ऐलान हुए हैं वह इतनी जल्दी पहुंचने वाले नहीं है। इसलिए रूस आक्रामक रवैया अपनाए हुए हैं। पुतिन ने इस युद्ध को लेकर लगातार रणनीति तैयार रखी है जबकि यूक्रेन के पास कोई रणनीति नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि रूस का आक्रामक रवैया देखकर यूरोपीय यूनियन भी डर रहा है। इसका बड़ा कारण यह है कि पुतिन बार-बार न्यूक्लियर वार का जिक्र करते रहे हैं। रूस और चीन पूरी तरीके से एकजूट दिख रहे हैं जो कि अमेरिका के लिए टेंशन बढ़ा रहा है। 
 

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इस सवाल के जवाब में ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि यह भारतीय सेना के लिए बहुत अच्छी खबर है। 1999 कारगिल युद्ध के बाद से इसकी लगातार चर्चा हुई है। उस दौरान जो कमी देखी गई थी उसको दूर करने की कोशिश हुई है। इसी कड़ी में सीडीएस का पद भी बनाया गया है। अभी की सरकार ने इस दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं जो कि भारतीय सुरक्षा और भारतीय सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि कुछ-कुछ दिक्कतें बीच में आती रहीं है। हर किसी का अपने अपने क्षेत्र में दबदबा है। ऐसे में सबको एक साथ लाना बड़ी चुनौती होती है। लेकिन इस सरकार ने इन चुनौतियों को डील करने की कोशिश की है। तभी हम सकारात्मक दिशा में बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में जो भी युद्ध होने वाले हैं उसके लिए थिएटर कमान बेहद ही जरूरी है। आगे के युद्ध साइबर, स्पेस और टेक्नोलॉजी के आधार पर भी होंगे। उसके लिए भी हमें तैयार रहना होगा। जो अभी अलग-अलग है उनको इकट्ठा करने की कोशिश इसके जरिए की जाएगी। साथ ही साथ इसका पूरा फोकस हमारे कोआर्डिनेशन पर रहने वाला है। 

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