शुक्रवार की देर रात केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया। इस फैसले के बाद दिल्ली में कार्यरत दानिक्स के सभी ग्रुप ए अधिकारियों और अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग की सिफारिश करने की शक्ति केंद्र के दायरे में आ गई। अध्यादेश जारी होने के तुरंत बाद, सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि हमें अध्यादेश की जांच करनी होगी। इसके गुण-दोषों में न जाकर स्पष्ट होता है कि यह एक दरिद्र, दुर्गुणहीन हारे हुए व्यक्ति की निशानी है।
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अध्यादेश द्वारा संवैधानिक सिद्धांतों को किस हद तक कमजोर किया जा सकता है, इसकी जांच करनी होगी। क्या संसद पूरी तरह से इस अध्यादेश को मंजूरी देगी या नहीं, यह एक और पहलू है। शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने केंद्र सरकार को हिला कर रख दिया है। उन्होंने पूछा कि क्या महाराष्ट्र में अवैध राज्य सरकार को वैध बनाने के लिए एक अध्यादेश होगा? कांग्रेस के पूर्व नेता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी अध्यादेश को लेकर केंद्र पर जमकर निशाना साधा।