भाजपा नेता वरुण गांधी हाल ही में अलग-अलग कारणों से चर्चा में बने हुए हैं। कभी किसानों को लेकर तो कभी अन्य मुद्दों पर वो अपनी ही सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं। लेकिन इन दिनों उनके कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें भी खूब चल पड़ी हैं। बीते दिनों भारत जोड़ो यात्रा के मौके पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राहुल गांधी से पूछा गया था कि अगर चचेरे भाई वरुण ने मार्च में शामिल होना चाहा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी।
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राहुल ने कहा कि वरुण और कांग्रेस की विचारधाराएं मेल नहीं खाती हैं, उनके लिए आरएसएस की विचारधारा को स्वीकार करना “असंभव” था जिसे वरुण ने अपनाया था और वरुण भी खुद को मुश्किल में पा सकते थे अगर उन्होंने ऐसा किया एक फैसला। तीन बार के भाजपा सांसद और पार्टी के पूर्व महासचिव वरुण के करीबी सूत्रों का कहना है कि राहुल के बयान को और कुछ नहीं समझना चाहिए। “सिर्फ इसलिए कि वरुण ने अपने विचार स्वतंत्र रूप से व्यक्त किए हैं और वे विचार भाजपा के विचारों के थोड़े विरोधाभासी हैं, आप यह नहीं कह सकते कि वह कांग्रेस में शामिल होने के इच्छुक हैं। सूत्र आगे कहते हैं कि वरुण की आलोचना नीतिगत मुद्दों पर आधारित है और उन्होंने कोई व्यक्तिगत या वैचारिक हमला नहीं किया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि वरुण के लगातार हमलावर होने की वजह से भाजपा कोई नरमी नहीं बरतने वाली है।
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं सांसद वरुण गांधी के कांग्रेस में शामिल हो सकने की अटकलों के बीच राहुल गांधी ने कहा था कि उनके चचेरे भाई और कांग्रेस की विचारधारा में बहुत अंतर है। उन्होंने साथ ही घोषणा की कि यदि कोई उनका ‘‘गला भी काट दे’’, तो भी वह ‘‘आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के कार्यालय नहीं’’ जाएंगे। राहुल गांधी ने कई मामलों को लेकर भाजपा की अक्सर आलोचना करने वाले वरुण गांधी को लेकर कहा, ‘‘मैं उनसे मुलाकात कर सकता हूं, उन्हें गले लगा सकता हूं, लेकिन मैं उस विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकता। यह असंभव है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक समय में वरुण ने उस विचारधारा को अपनाया था, शायद अब भी उसे मानते हैं, इसलिए मैं उसे (विचारधारा को) स्वीकार नहीं कर सकता।