आर्थिक अपराधियों को कानून की गिरफ्त में लाने और उन्हें उनके गुनाहों की सजा दिलाने के लिए मोदी सरकार पहले दिन से ही संकल्पबद्ध रही है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद जांच एजेंसियों के अधिकारियों का हौसला बढ़ाते हुए कहते हैं कि कोई भ्रष्टाचारी बचना नहीं चाहिए। प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हैं। पहली बार देश को देखने को मिला कि कोई प्रधानमंत्री ‘ना खाउंगा, ना खाने दूंगा’ का संकल्प लेता है तो दिल्ली से चलने वाले हर रुपए को देश के हर लाभार्थी के खाते तक पूरा पहुँचा कर अपने संकल्प को सिद्ध भी करता है। यह मोदी सरकार की आर्थिक अपराधियों से निबटने की प्रबल इच्छाशक्ति का ही परिचायक है कि अब आर्थिक अपराधियों के राजनीतिक कद की चिंता किये बिना ही उन्हें कानून के कठघरे तक लाया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी चूंकि तकनीक से बहुत प्रेम करते हैं और इसके सहारे अपनी सरकार के कामकाज को गति भी प्रदान करते हैं इसलिए अब वह तकनीक के माध्यम से जो करने जा रहे हैं वह आने वाले समय में आर्थिक अपराधियों पर बड़ी चोट करने वाला है। मोदी जो करने जा रहे हैं उससे आने वाले समय में लोग आर्थिक अपराध करने से पहले दस बार सोचेंगे।
हम आपको बता दें कि जिस तरह हर कैदी का एक बिल्ला नंबर होता है उसी तरह मोदी सरकार हर आर्थिक अपराधी को एक यूनिक कोड देने जा रही है। आर्थिक अपराधी भले कोई व्यक्ति हो या कंपनी, उसे जल्द ही एक यूनिक कोड दे दिया जायेगा। इसे Unique Economic Offender Code के नाम से जाना जायेगा। यह यूनिक इकॉनॉमिक ऑफेन्डर कोड संबंधित व्यक्ति या कंपनी के आधार कार्ड और पैन नंबर से भी जोड़ा जायेगा। अंग्रेजी समाचारपत्र द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो ने लगभग ढाई लाख आर्थिक अपराधियों का एक डाटाबेस तैयार किया है। दरअसल, अक्सर देखने में आता है कि आर्थिक अपराधियों पर नकेल कसने में अभी काफी समय लग जाता है क्योंकि कोई एक एजेंसी अपनी जांच पूरी कर जब तक आरोपपत्र दाखिल नहीं कर देती तब तक बहुत सारी चीजें सामने नहीं आ पाती हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि जब तक कोई शिकायतकर्ता सबूतों के साथ कोई शिकायत नहीं करता तब तक एजेंसियां सक्रिय नहीं होतीं लेकिन अब जब हर आर्थिक अपराधी का यूनिक आईडी होगा तो जाँच भी त्वरित गति से होगी, साथ ही आर्थिक अपराधियों को और अपराध करने से भी रोका जा सकेगा। गौरतलब है कि कई बार इस प्रकार की भी खबरें आती हैं कि कोई व्यक्ति पिछले कई सालों से आर्थिक घोटाले कर रहा था और किसी जांच एजेंसी का ध्यान नहीं गया या कई बार ऐसी खबर आती है कि किसी ने कई लोगों के साथ आर्थिक धोखा किया और बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थाओं को पता ही नहीं चला। लेकिन अब जब आर्थिक अपराधियों का यूनिक कोड उनके आधार और पैन नंबर के साथ लिंक होगा तो कोई भी बैंक लोन देते समय या अन्य संस्थाएं मंजूरियां देते समय जब दस्तावेजों की जांच करेंगी तब यह बात सामने आ जायेगी कि सामने वाले व्यक्ति या कंपनी ने पहले कोई आर्थिक अपराध तो नहीं किया हुआ है। यह ठीक उसी प्रकार की व्यवस्था प्रतीत होती है जैसे अभी बैंक आपको लोन देने से पहले आपके सिबिल स्कोर की जाँच करते हैं।
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मोदी सरकार की इस पहल के बारे में यह भी बताया जा रहा है कि यूनिक कोड के तहत आर्थिक अपराधी व्यक्ति अथवा कंपनी की ओर से किये गये सारे अपराधों की सूची एक जगह उपलब्ध होगी और यह एक तरह का उसका 360 डिग्री का प्रोफाइल होगा। राष्ट्रीय आर्थिक अपराध रिकॉर्ड (The National Economic Offence Records) के केंद्रीय डाटाबेस में जैसे ही पुलिस, केंद्रीय जांच एजेंसी, आईबी या प्रवर्तन निदेशालय की ओर से किसी व्यक्ति या कंपनी से संबंधित आर्थिक अपराध का डाटा फीड किया जायेगा वैसे ही सिस्टम उससे संबंधित एक यूनिक कोड अपने आप जेनरेट कर देगा। उदाहरण के लिए आर्थिक अपराधों से जुड़े मामलों का सामना कर रहे विजय माल्या, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम, दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन जैसे लोगों का एक यूनिक कोड होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, एनआईसी की मदद से यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है और इस पर लगभग 40 करोड़ रुपए की लागत आई है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय आर्थिक अपराध रिकॉर्ड की ओर से यह डाटाबेस केंद्रीय और राज्य खुफिया एजेंसियों और प्रवर्तन इकाइयों के साथ साझा किया जायेगा। बताया जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट आगामी चार से पांच महीनों में पूरा हो जायेगा और जल्द ही केंद्रीय और राज्यों की तमाम एजेंसियों के पास उपलब्ध डाटा एपीआई की मदद से राष्ट्रीय आर्थिक अपराध रिकॉर्ड के डाटाबेस में मिला दिया जायेगा। इस अभियान के तहत यह सुनिश्चित किया जायेगा कि यह पूरा काम तकनीक के माध्यम से ही संपन्न हो और इसमें किसी प्रकार का मानवीय दखल नहीं हो।
बताया जा रहा है कि यह डाटाबेस इस साल होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की समीक्षा बैठक के दौरान भारत की आर्थिक अपराधों से निबटने की प्रबल इच्छाशक्ति को भी प्रदर्शित करेगा। बताया जा रहा है कि पेरिस स्थित इस अंतरराष्ट्रीय संगठन के अधिकारी इस साल कभी भी भारत आकर इस बात की समीक्षा कर सकते हैं कि मनी लॉन्ड्रिंग और टैरर फंडिंग जैसे अपराधों से निबटने के लिए भारत ने क्या विधायी और प्रशासनिक कदम उठाये हैं।