Breaking News

ईडी ने धन शोधन मामले में सुपरटेक के अध्यक्ष आर के अरोड़ा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को धन शोधन मामले में रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक समूह के अध्यक्ष और प्रवर्तक आर के अरोड़ा, उनकी कंपनी और आठ अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें उन पर फ्लैट खरीदारों को धोखा देने की ‘‘आपराधिक साजिश’’ रचने का आरोप लगाया गया।
ईडी ने आरोपियों पर कम से कम 670 फ्लैट खरीदारों से 164 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। लगभग 100 पेज की अभियोजन शिकायत विशेष न्यायाधीश देवेंदर कुमार जांगला के समक्ष दाखिल की गई, जिसमें दावा किया गया कि धन शोधन के आरोप में अरोड़ा पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
अदालत ने आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के लिए मामले की तारीख 28 अगस्त तय की। अरोड़ा को तीन दौर की पूछताछ के बाद 27 जून को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था।

सुपरटेक समूह, उसके निदेशकों और प्रवर्तकों के खिलाफ धन शोधन का मामला दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई प्राथमिकियों पर आधारित है।
ईडी के विशेष लोक अभियोजक एन. के मट्टा और अधिवक्ता मोहम्मद फैजान खान ने अदालत से कहा कि जांच एजेंसी दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा सुपरटेक लिमिटेड और उसकी समूह कंपनियों के खिलाफ कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात के लिए दर्ज की गई 26 प्राथमिकी से संबंधित मामले की जांच कर रही थी।
आरोपपत्र के अनुसार, कंपनी और उसके निदेशकों ने अपनी रियल एस्टेट परियोजनाओं में बुक किए गए फ्लैट के बदले संभावित फ्लैट खरीदारों से अग्रिम धनराशि एकत्र करके लोगों को धोखा देने की ‘‘आपराधिक साजिश’’ रची।

ईडी ने कहा कि कंपनी ने समय पर फ्लैट का कब्जा प्रदान करने के सहमत दायित्व का पालन नहीं किया और आम जनता को ‘‘धोखा’’ दिया। एजेंसी ने कहा कि धन सुपरटेक लिमिटेड और अन्य समूह कंपनियों द्वारा एकत्र किया गया था। ईडी ने कहा कि कंपनी ने आवास परियोजनाओं के निर्माण के लिए बैंक और वित्तीय संस्थानों से परियोजना-विशिष्ट सावधि ऋण भी लिया था।
ईडी ने कहा कि हालांकि, इन कोष का ‘‘दुरुपयोग और इस्तेमाल समूह की अन्य कंपनियों के लिए किया गया। एजेंसी ने कहा कि सुपरटेक समूह ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भुगतान में भी चूक की और वर्तमान में ऐसे लगभग 1,500 करोड़ रुपये के ऋण गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बन गए हैं।

Loading

Back
Messenger