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बेंगलुरु । कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को कहा कि अनुसूचित जनजाति निगम घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र पर कुछ लोगों का नाम लेने के लिए दबाव डाला जा रहा है। कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम के लेखा अधीक्षक चन्द्रशेखरन पी द्वारा 26 मई को आत्महत्या किए जाने के बाद नागेंद्र ने जनजातीय कल्याण मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अधिकारी ने अपने सुसाइड नोट में कहा कि 187 करोड़ रुपये का गबन हुआ है, जिसमें 88 करोड़ रुपये का अवैध हस्तांतरण भी शामिल है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा शिकायत किए जाने के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच शुरू की थी। बाद में, इसमें प्रवर्तन निदेशालय भी शामिल हो गया। संबंधित बैंक से हैदराबाद में 217 बैंक खातों में अवैध रूप से धन हस्तांतरित किया गया था। सिद्धरमैया ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमें सीबीआई से कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। उन्होंने नागेंद्र को गिरफ्तार कर लिया है। हमारे पास जानकारी है कि उन पर (नागेंद्र) पर फलां-फलां लोगों का नाम लेने के लिए दबाव डाला जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि सीबीआई अपने स्तर पर इसकी जांच कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सीबीआई ‘स्वत: संज्ञान’ से जांच कर रही है। मैं इस बात को रेखांकित कर रहा हूं। ईडी ने वाल्मीकि निगम के अध्यक्ष बसनगौड़ा दद्दाल और नागेंद्र के घर पर छापेमारी की। एजेंसी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया और नागेंद्र को गिरफ्तार कर लिया।’’ उन्होंने कहा कि सुसाइड नोट में केवल तीन लोगों के नाम हैं जिनमें वाल्मीकि निगम के प्रबंध निदेशक जे जी पद्मनाभ, अकाउंटेंट परशुराम दुर्गन्नावर और बेंगलुरु स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एमजी रोड शाखा में मुख्य प्रबंधक एस राहुल शामिल हैं। चन्द्रशेखरन की पत्नी कविता ने भी अपनी शिकायत में तीनों का नाम लिया।
बैंक के उपमहाप्रबंधक महेश जे ने तीन जून को सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी। अनियमितताओं पर उनके इस्तीफे की भाजपा की मांग के बारे में पूछे जाने पर सिद्धरमैया ने जवाबी सवाल किया, ‘‘बैंक किसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं? केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। क्या उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए?’’
वहीं, इस सवाल पर कि क्या यह ‘केंद्र और राज्य का संयुक्त घोटाला’ है, उन्होंने इसे खारिज किया। हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में इस तरह का मामला कभी नहीं देखा है। भाजपा की सीबीआई जांच की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए सिद्धरमैया ने कहा कि एक समय उसके नेता इसे ‘‘चोर बचाओ संस्थान’’ (सीबीआई) कहते थे। उन्होंने कहा, ‘‘जब आप सत्ता में थे तो आपने कभी भी मामला सीबीआई को नहीं दिया। मुझे अपनी पुलिस पर भरोसा है। सीबीआई का प्रवेश हो चुका है। ईडी अपना काम कर रही है। एसआईटी भी इसकी जांच कर रही है।