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छत्रपति संभाजीनगर । महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलकर क्रमशः छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने पर बंबई उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस कदम का विरोध करने वाले लोग विपक्षी महाविकास अघाडी (एमवीए) गठबंधन से जुड़े हुए हैं। शिंदे ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जून 2022 में तत्कालीन एमवीए सरकार का औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने का फैसला “अवैध” था क्योंकि उनके (शिंदे) नेतृत्व में अविभाजित शिवसेना के एक वर्ग की बगावत के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन अपना बहुमत खो चुका था।
एमवीए सरकार गिरने के बाद 30 जून, 2022 को शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके मंत्रिमंडल नेऔरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने को मंजूरी दी। 16 जुलाई, 2022 को नाम बदलने के लिए एक सरकारी प्रस्ताव पारित किया गया और फिर मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेज दिया गया। उन्होंने कहा, “बंबई उच्च न्यायालय ने आज (आठ मई) बदले हुए नामों छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव को मान्यता दे दी। (शिवसेना संस्थापक) दिवंगत बालासाहेब ठाकरे का सपना पूरा हो गया है। कुछ लोग जिन्होंने इस फैसले का विरोध किया और अदालत गये वे एमवीए से थे।”
शिंदे ने कहा, “यह (अदालत का फैसला) उन लोगों के लिए एक सबक है, जिन्होंने छत्रपति संभाजीनगर का नाम बदलने का विरोध किया था। छत्रपति संभाजीनगर शहर और बालासाहेब ठाकरे के बीच गहरा संबंध था। जो लोग ढाई साल तक सरकार में थे, उन्होंने हमारी बगावत के बाद बिल्कुल आखिरी क्षण में नाम बदलने का फैसला लिया, जो अवैध था। इससे पहले उच्च न्यायालय ने औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज कर दिया था।