भारतीय रेलवे के अभियंताओं ने कश्मीर रेल संपर्क परियोजना के 111 किलोमीटर लंबे कटरा-बनिहाल खंड पर सुरंग-1 के निर्माण को पूरा करने के लिए एक नयी विधि विकसित की है।
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के कटरा-रियासी खंड में त्रिकुटा पहाड़ियों की तलहटी में स्थित 3.2 किलोमीटर लंबी ‘सिंगल ट्यूब’ सुरंग को परियोजना का सबसे कठिन खंड बताया गया है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में कहा था, “हमने हिमालयी भूविज्ञान के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में सुरंग बनाने के लिए नयी विधि (आई)-टीएम विकसित की है।”
रेलवे के एक वरिष्ठ इंजीनियर ने सुरंग बनाने की नयी विधि के बारे में कहा कि इसमें सुरंग की खुदाई के दौरान आने वाली प्रवाह की स्थिति से निपटने के लिए खुदाई-पूर्व सहायता प्रदान करना शामिल है।
रेलवे ने रेल लाइन का संरेखण (अलाइनमेंट) में बदलाव किया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि रेलखंड का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही मुश्किल इलाके से होकर गुजरे। अभियंताओं के अनुसार,मुश्किल रास्तों की वजह से सुरंग के निर्माण में सबसे अधिक समस्या पैदा होती है।
परियोजना निर्माण में शामिल रहे रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इंजीनियरों ने ‘न्यू ऑस्ट्रियाई सुरंग विधि’ में इस्तेमाल की जाने वाली जालीदार गर्डर विधि के विपरीत आईएसएचबी का उपयोग करके सुरंग को मजबूत सहारा प्रदान करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा, “हमने पहाड़ों में नौ-मीटर के पाइप डाले। इसे पाइप रूफिंग कहा जाता है।
हमने इन छिद्रित स्तंभों का उपयोग करके एक छत बनाई और उन्हें पीयू ग्राउट से भर दिया। पीयू ग्राउट एक ऐसा रसायन है जो मिट्टी में मिलकर उसकी मात्रा तीन गुना बढ़ा देता है और मिट्टी को चट्टान की तरह ठोस बना देता है। इस संरचना की स्थिरता के लिए परीक्षण किया जाता है और फिर हमने खुदाई थोड़ी-थोड़ी करके आगे बढा़ई।”
इस महत्वपूर्ण सुरंग पर 2017 के बाद तीन साल से अधिक समय तक काम रुका रहा था और अभियंताओं की अब इसे अगले साल की शुरुआत तक पूरा करने की योजना है।
इस परियोजना में लगभग 111 किलोमीटर लंबे कटरा-बनिहाल खंड पर मुख्य रूप से सुरंग बनाना शामिल है। इसमें 27 मुख्य सुरंगें (97 किमी) और आठ ‘एस्केप’ सुरंगें (67 किलोमीटर) हैं। इस खंड में 37 पुल हैं, जिनमें से 26 बड़े और 11 छोटे हैं।