Breaking News

जम्मू कश्मीर में बेदखली अभियान गैरकानूनी, सत्ता में आए तो रोशनी योजना वापस लाएंगे: गुलाम नबी आजाद

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने शनिवार को कहा कि सरकारी जमीन को वापस लेने का बेदखली अभियान ‘‘गैरकानूनी’’था। उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर में अगले विधानसभा चुनाव में सत्ता में आती है तो वह ‘रोशनी योजना’ वापस लाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों सहित हर कोई, जिसने इस योजना का इस्तेमाल जमीन के बड़े हिस्से को हड़पने के लिए किया, उसे कानून का सामना करना पड़ेगा।
एक नवंबर, 2020 को केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने जम्मू कश्मीर सरकारी भूमि (कब्जेदारों को स्वामित्व प्रदान करना) अधिनियम, 2001 (जिसे रोशनी अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है) के तहत हुए सभी भूमि हस्तांतरण रद्द कर दिए।

इसके तहत 2.5 लाख एकड़ भूमि मौजूदा हितग्राहियों को हस्तांतरित की जानी थी।
इस साल सात जनवरी को राजस्व विभाग द्वारा सभी उपायुक्तों को रोशनी अधिनियम के तहत आने वाली चारागाह भूमि सहित सरकारी भूमि से शत-प्रतिशत अतिक्रमण हटाने को सुनिश्चित करने का निर्देश देने के बाद सरकार द्वारा 10 लाख कनाल से अधिक भूमि पुनः प्राप्त की गई थी।
इस अधिनियम के तहत शुरुआत में कब्जेदारों को लगभग 20.55 लाख कनाल (1,02,750 हेक्टेयर) भूमि का मालिकाना अधिकार प्रदान करने की परिकल्पना की गई थी। इस भूमि में से केवल 15.85 प्रतिशत पर ही मालिकाना हक देने की मंजूरी दी गई। अंततः 28 नवंबर, 2018 को तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इस योजना को रद्द कर दिया।

आजाद ने पार्टी से जुड़ने वाले गुज्जरों के एक समूह से कहा, ‘‘बेदखली अभियान गैरकानूनी था, इसलिए हमने पूरे केंद्र शासित प्रदेश में 85 से अधिक विरोध प्रदर्शन किए। जब विरोध का कोई असर नहीं हुआ तो मैंने उपराज्यपाल और गृह मंत्री से मुलाकात की और मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया।’’
डीपीएपी नेता और जम्मू नगर निगम (जेएमसी) के पार्षद सोबत अली के नेतृत्व में गुज्जर समुदाय के सदस्यों ने आजाद से उनके आवास पर मुलाकात की और उन्हें बताया कि उन्हें सरकारी अधिकारियों द्वारा लगातार परेशान किया जा रहा है, जो कहते रहते हैं कि वे वन भूमि पर रह रहे हैं तथा उनके घरों और दुकानों को तोड़ दिया जाएगा। आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर में हर कोई इस समस्या का सामना कर रहा है।
आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर में हर कोई इस समस्या का सामना कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘1947 के बाद, लोगों ने अपने पुनर्वास के लिए मैदानी इलाकों में जमीन पर कब्जा कर लिया। मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और कोलकाता में, हमने सरकारों को ऐसी कॉलोनियों को नियमित करते देखा। मैं कांग्रेस में था तब हमारी सरकार ने निवासियों को वन भूमि पर अधिकार प्रदान करने के लिए एक कानून पारित किया था, लेकिन अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में कानून लागू नहीं हुआ।’’
रोशनी योजना का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य गांवों में भूमिहीन गरीबों को लाभ पहुंचाना और राजस्व उत्पन्न करने के लिए शहरों में भूमि को नियमित करना भी है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम सत्ता में आए तो हम रोशनी योजना वापस लाएंगे और उन अधिकारियों के खिलाफ जांच भी शुरू करेंगे जिनके खिलाफ गलत काम करने की शिकायतें हैं।

Loading

Back
Messenger