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सरकारों के रवैये से खफा Ahmednagar के किसान विधानसभा चुनाव में सबक सिखाने को तैयार

अहमदनगर लोकसभा क्षेत्र महाराष्ट्र राज्य का एक प्रमुख संसदीय क्षेत्र है। जहां से शरद पवार के गुटवाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नीलेश ज्ञानदेव लंके वर्तमान सांसद हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के सुजय विखे पाटिल से यह जीती थी। यह सीट भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में लगभग 15 साल तक रही है। अहमदनगर क्षेत्र निजाम शाही सुल्तानों की राजधानी रहा है। जिसकी स्थापना इस वंश के पहले सुल्तान अहमद निजामशाह ने की थी। इसी क्षेत्र में बीजापुर के अली आदिलशाह की विधवा चांदबीबी अकबर के बेटे युवराज मुराद के बीच 1595 से 1596 के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। अहमदनगर क्षेत्र में कपास, गेहूं और बाजरा बड़ी मात्रा में पैदा होता है। गन्ने का भी पर्याप्त उत्पादन होने से इस क्षेत्र में कई चीनी मिलें भी स्थापित की गई हैं।
अहमद नगर लोक सभा क्षेत्र के अंतर्गत शेगांव, राहुरी, पारनेर, अहमदनगर सिटी, श्रीगोंडा, कर्जत जामखेड समेत कुल 6 विधानसभा आती हैं। जिनमें से फिलहाल दो पर भारतीय जनता पार्टी, दो सीटों पर शरद पवार के गुटवाली एनसीपी और एक सीट अजीत पवार के गुटवली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पास है। शेगांव विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से अहमदनगर जिला (परिवर्तित नाम अहिल्याबाई नगर) के अंतर्गत ही आता है। इस सीट से बीजेपी की मोनिका राजीव राजले वर्तमान विधायक हैं। वह लगातार दो चुनावों से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। बीजेपी के पहले यह सीट एनसीपी के कब्जे में थी। 
शिवसेना को छोड़कर राज्य की सभी बड़े दलों को मौका देने वाली राहुरी विधानसभा सीट प्रसाद बाबूराव तनपुरे की वजह से भी महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है। उन्होंने 1980 से लेकर 2005 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। पहले वे कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचते रहे थे, लेकिन अपने कार्यकाल के आखिरी चरण में एनसीपी ने उनको विधानसभा भेजा था। वर्तमान में यहां से शरद चंद्र पवार की एनसीपी के प्राजकत प्रसादराव तनपुरे विधायक हैं। उन्होंने यह सीट बीजेपी के शिवाजी भानु दास करदिले से छीनी है, जो दो बार विधायक रह चुके हैं। विधायक तनपुरे प्रसाद बाबूराव तनपुरे के पुत्र हैं। वे 2019 से अब तक सरकार के कई मंत्रालयों में मंत्री भी रह चुके हैं। 
महाराष्ट्र में 224 नंबर विधानसभा वाली पारनेर क्षेत्र में अब तक भारतीय जनता पार्टी अपना खाता खोलने में असफल ही रही है। वर्तमान में यह सीट खाली है, क्योंकि 2019 में यहां से विधायक चुने गए नीलेश ज्ञानदेव लंके लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। इस सीट पर लड़ाई हमेशा एनसीपी और शिवसेना के बीच ही रही है। शिवसेना के विजय भास्करराव औटी ने इस सीट का 2004 से लेकर 2019 तक प्रतिनिधित्व किया है। अहमदनगर लोकसभा क्षेत्र की अहमदनगर सदर सीट भी बहुत महत्वपूर्ण रही है। शिवसेना के अनिल राठौड़ यहां से लगभग 25 सालों तक विधायक रहे हैं। अंतिम बार यह सीट अजित पवार के गुट वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संग्राम जगताप ने जीत ली थी। वे इस सीट का 2014 से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 
1999 के चुनाव से अस्तित्व में आई श्रीगोंडा विधानसभा सीट पूरी तरह से अहमदनगर जिला (परिवर्तित नाम अहिल्याबाई नगर) में ही है। भारतीय जनता पार्टी के बबनराव पाचपुते यहां से अंतिम बार विधायक चुने गए थे। उनके पहले एनसीपी ने लगभग 10 साल तक इस सीट पर राज किया है। विधायक पाचपुते महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती सरकार में 2009 से 2013 के बीच जनजातीय मंत्रालय का कार्यभार भी संभाल चुके हैं। अहमदनगर लोकसभा क्षेत्र की शरद पवार के कब्जे वाली दूसरी सीट कर्जत जामखेड विधानसभा है। जहां से वर्तमान विधायक रोहित पवार, शरद पवार के भतीजे हैं। रोहित, पवार परिवार के उभरते हुए कद्दावर नेता हैं। नेता बनने से पहले वह महाराष्ट्र की कई इकाइयों में बतौर अध्यक्ष और सदस्य भी काम कर चुके हैं।
इस क्षेत्र के किसान राजस्व में गिरावट की समस्या का सामना कर रहे हैं, खासकर प्याज की कीमतों के मामले में। प्याज पर पिछले साल निर्यात शुल्क बढ़ाने के सरकार के फैसले से एपीएमसी में कीमतों में भारी गिरावट आई। इससे उन किसानों को भारी नुकसान हुआ, जिन्होंने कीमतों में उछाल के लिए प्याज का भंडारण किया हुआ था। इस घटना की प्रतिक्रिया में, नासिक और अहमदनगर जिलों में सभी एपीएमसी बंद हो गए और विरोध करने वाले किसानों ने राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया। इसने कुछ हद तक मोदी फैक्टर को भी कम कर दिया है लेकिन यह शहरी क्षेत्रों में बरकरार है। इन मुद्दों ने चुनाव को लेकर अनिश्चितता की भावना पैदा कर दी है, जिससे भाजपा के लिए कड़ी टक्कर हो गई है। 
महाराष्ट्र का अहमदनगर भारत के सबसे अधिक सूखाग्रस्त क्षेत्रों में से एक है। बेमौसम बारिश और लंबी तथा कठोर गर्मियों ने इस क्षेत्र में पानी की भारी कमी पैदा कर दी है। 2005, 2007, 2013 और 2016 में, महाराष्ट्र ने बड़े पैमाने पर सूखे का सामना किया और अहमदनगर क्षेत्र सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से एक था क्योंकि लोगों को कई दिनों तक और कुछ क्षेत्रों में एक सप्ताह से भी अधिक समय तक पीने योग्य पानी उपलब्ध नहीं था। समस्या का समाधान होने के बजाय, इस क्षेत्र में पानी की तीव्र कमी और बढ़ गई है। रिपोर्टों के अनुसार, 1970 के बाद से अहमदनगर जिले में भीषण सूखे की आवृत्ति और तीव्रता चार गुना बढ़ गई है।

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