बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने शनिवार को कहा कि फिल्म उद्योग को अक्सर लोगों का नजरिया बदलने के लिए जिम्मेदार माना जाता है लेकिन समाज ने हमेशा सिनेमा के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम किया है।
यहां ‘सिम्बायोसिस फिल्म उत्सव’ में छात्रों को संबोधित करते हुए 81 वर्षीय बच्चन ने फिल्म उद्योग की आलोचना के साथ-साथ सिनेमा में तकनीकी उन्नति के फायदे और नुकसान के बारे में बात की।
वह पत्नी जया बच्चन के साथ सिम्बायोसिस इंटरनेशनल द्वारा आयोजित महोत्सव के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए।
उन्होंने कहा, ‘‘कई बार फिल्म उद्योग को काफी आलोचनाओं और तमाम तरह के आरोपों का सामना करना पड़ता है कि आप देश की नैतिकता बदलने और लोगों का नजरिया बदलने के लिए जिम्मेदार हैं।’’
अभिनेता ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि आप जानते हैं कि जया, जिन्होंने इंस्टीट्यूट (एफटीआईआई) में औपचारिक रूप से अध्ययन किया है, इस तथ्य का समर्थन करेंगी कि कहानियां और फिल्में उन अनुभवों से बनती हैं जिन्हें हमने प्रकृति में, दुनिया में, रोजमर्रा की जिंदगी में देखा है, और यही है हमारी प्रेरणा बन जाती है।’’ बच्चन ने याद किया कि कैसे उनके दिवंगत पिता, प्रसिद्ध कवि एवं लेखक हरिवंश राय बच्चन कई हिंदी फिल्मों का पुनः प्रसारण देखा करते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘सिनेमा अपने आप में अपनी ताकत रखता है। मेरे पिता जीवन के अंतिम वर्षों में हर शाम टेलीविजन पर कैसेट पर एक फिल्म देखते थे। कई बार उन्होंने जो फिल्में देखी होती थी, उसे फिर से देखते थे।’’
बच्चन ने मलयालम और तमिल फिल्मों की प्रामाणिकता की भी सराहना की, लेकिन कहा कि यह कहना गलत है कि दक्षिण सिनेमा हिंदी फिल्म उद्योग से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्रीय सिनेमा बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। लेकिन जब हमने उनसे बात की, तो उन्होंने कहा कि वे उसी तरह की फिल्में बना रहे हैं, जैसी हम हिंदी में बनाते हैं। वे इसमें सिर्फ कुछ बदलाव करते हैं ताकि वे और सुंदर दिखें।’’
बच्चन ने सिनेमा और फिल्मी हस्तियों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के इस्तेमाल को लेकर भी नाखुशी जताई।