Breaking News
-
देश की राजधानी दिल्ली में अगले महीने 5 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में…
-
मुंबई । महाराष्ट्र की मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की नेता अदिति तटकरे ने…
-
नयी दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले…
-
लखनऊ । समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव…
-
वाशिंगटन । अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर…
-
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ले ली है। ट्रंप…
-
बीजिंग । चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों…
-
एक दुखद रेल दुर्घटना में, लखनऊ-छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पुष्पक एक्सप्रेस के 11 यात्रियों की…
-
प्राचीन काल से बिहार ज्ञान, मोक्ष एवं शांति की भूमि रही है। बिहार की झांकी…
-
अमेरिका से आई खबर पाकिस्तान की बर्बादी का सबूत सरीखा है। शपथ लेते नजर आए…
शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश में सिंतबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर में काफी सुस्ती देखने को मिली है और यह प्रणालीगत नहीं है और दूसरी तिमाही पर भी इसका काफी असर देखने को मिला है। निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि- तीसरी तिमाही में होगी भरपाई। जुलाई-सितंबर तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। वहीं अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत थी।
निर्मला सीतारमण ने आगे कहा- अगले साल भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में वृद्धि आंकड़ों पर बुरा असर पड़ना जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा, हमें कई अन्य कारकों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत अगले साल और उसके बाद भी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आम चुनाव और पूंजीगत व्यय में कमी के कारण पहली तिमाही में वृद्धि की रफ्तार सुस्त रही। इसका असर दूसरी तिमाही पर भी पड़ा है। पहली छमाही में सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए11.11 लाख करोड़ रुपये के अपने पूंजीगत व्यय लक्ष्य का सिर्फ 37.3 प्रतिशत ही खर्च किया। सीतारमण ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों में वैश्विक मांग में स्थिरता भी शामिल है, जिसने निर्यात वृद्धि को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा, भारतीयों की क्रय शक्ति बढ़ रही है, लेकिन भारत के भीतर आपको वेतन में वृद्धि के स्थिर होने से जुड़ी चिंताएं भी हैं। हम इन कारकों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। इनका भारत की अपनी खपत पर प्रभाव पड़ सकता है।