उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को 20 मई को शुरू होने वाली हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए ऋषिकेश से प्रहले जत्थे को रवाना किया।
चमोली जिले में 15 हजार फीट से अधिक की उंचाई पर स्थित दुनिया के सबसे उंचे गुरूद्वारे हेमकुंड साहिब के लिए यात्रा का पहला जत्था रवाना करने से पहले राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने गुरुद्वारे के ऋषिकेश परिसर में मत्था टेका तथा प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की।
हेमकुंड साहिब गुरूद्वारे की यात्रा पर जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह यात्रा हम सबके लिए श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ जीवन को धन्य बनाने की यात्रा है।
इस यात्रा में आने वाले हर यात्री को उन्होंने ब्रांड एंबेसडर बताया और इस बात पर खुशी जताई कि पवित्र गुरूद्वारे के लिए अब तक दो हजार से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा हेमकुंड साहिब की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से यात्रा पर जाने से पहले अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाने की अपील की।
धामी ने कहा कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा भी चरम पर है, और इस वर्ष पिछले साल से भी अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। पिछले साल करीब 50 लाख श्रद्धालुओं ने चारधामों के दर्शन किए थे।
उन्होंने केदारनाथ एवं हेमकुंड साहिब के लिये रोपवे का शिलान्यास करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इनके बन जाने से यात्रा सहज एवं सुगम होगी।
उन्होंने कहा कि कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेल लाइन शुरू होने के बाद भी हेमकुंड साहिब की यात्रा और सुगम होगी।
हेमकुंड साहिब सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह की तपस्थली मानी जाती है। हिमाच्छादित पर्वत श्रंखलाओं के मध्य हेमकुंड सरोवर के समीप हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा स्थित है। यहां पहुंचने के लिए बदरीनाथ के निकट गोविंद घाट से पुलना गांव तक मोटर मार्ग से तथा उसके आगे लगभग 17 किलोमीटर की कठिन दूरी पैदल तय करनी पड़ती है।