बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस दौरान हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन भी मौजूद थे। अमित शाह के आवास पर हुई इस मुलाकात के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी उपस्थित थे। हम आपको बता दें कि नित्यानंद राय बिहार के उजियारपुर से सांसद हैं। मांझी की भाजपा नेताओं से यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब उनके दल के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने की अटकलें हैं। मांझी ने इसी साल अप्रैल महीने में भी अमित शाह से मुलाकात की थी।
हम पार्टी ने सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। उनके इस कदम के बाद से उनके राजग में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है। बिहार विधानसभा में ‘हम’ के जीतन राम मांझी सहित चार विधायक हैं जबकि बिहार विधान परिषद के सदस्य सुमन ने एक सप्ताह पहले राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। मांझी ने आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार उनकी पार्टी का जनता दल (यूनाइटेड) में विलय करने का दबाव डाल रहे थे। मांझी ने नीतीश सरकार से समर्थन वापसी का पत्र राज्य के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर को सौंपने के बाद कहा था कि वह भविष्य के विकल्पों पर विचार-विमर्श के लिए अगले कुछ दिनों तक दिल्ली में रहेंगे और उस दौरान वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेताओं से मिलने की कोशिश करेंगे।
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हम आपको यह भी बता दें कि जदयू ने स्वीकार किया है कि वह चाहती थी कि ‘हम’ का उसमें विलय हो जाए। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आठ साल पुरानी पार्टी की तुलना एक ‘‘छोटी दुकान’’ से की थी जिस पर ‘हम’ के कार्यकर्ताओं की कड़ी प्रतिक्रियाएं आईं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्हें मांझी पर शक है कि वह भाजपा के इशारे पर महागठबंधन के नेताओं की जासूसी कर रहे थे। नीतीश कुमार ने मांझी को 23 जून की विपक्ष की बैठक से बाहर रखने के फैसले का बचाव करते हुए दावा किया था कि वह सब कुछ भाजपा को ‘लीक’ कर देते। मांझी और सुमन ने कहा है कि हालांकि वे राजग में लौटने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन वे तीसरे मोर्चे सहित अन्य संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। राजभवन के बाहर जब मांझी से पत्रकारों ने पूछा था कि क्या वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी मुलाकात करेंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनसे मिलने की कोशिश करूंगा। मैं बसपा प्रमुख मायावती से भी मिलने की कोशिश करूंगा।”
हम आपको यह भी याद दिला दें कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जद (यू) की करारी हार के बाद नीतीश कुमार द्वारा मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए मांझी ने 2015 में जब नीतीश कुमार को कुर्सी सौंपने की बात आई थी तो बगावत कर दी थी और भाजपा से हाथ मिला लिया था। वह 2019 के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा थे। इस चुनाव को जद (यू) और भाजपा ने एक साथ लड़ा था। बिहार के कुछ हिस्सों में ‘मांझी’ समुदाय में जीतन राम मांझी का खासा प्रभाव माना जाता है इसलिए आगामी लोकसभा चुनावों की दृष्टि से भाजपा को उनके साथ का लाभ मिल सकता है।
बिहार विधानसभा में दलीय स्थिति की बात करें तो सत्तारुढ़ महागठबंधन के पास लगभग 160 विधायक हैं। इस गठबंधन में जदयू, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और तीन वाम दल शामिल हैं। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है।