गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर.बी.श्रीकुमार ने सोमवार को यहां के सत्र अदालत में अर्जी देकर वर्ष 2002 के गोधरा दंगों के बाद फर्जी सबूत गढ़ निर्दोष लोगों को फंसाने और गुजरात को बदनाम करने के आरोपों से मुक्त करने की गुहार लगाई।
इस मामले में श्रीकुमार के साथ सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट आरोपी हैं। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, तीनों ने फर्जी सबूत गढ़ने के लिए आपराधिक साजिश रची, ताकि गोधरा बाद हुए दंगों के मामले में निर्दोष लोगों को मौत की सजा दिलाई जा सके।
श्रीकुमार के वकील यू.डी.शेखावत ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश अम्बालाल पटेल ने उनके मुवक्किल की अर्जी पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 22 मई के लिए सूचीबद्ध कर दी।
वर्ष 1971 बैच के आईपीएस अधिकारी और पूर्व डीजीपी (खुफिया) श्रीकुमार ने याचिका में खुद के निर्दोष होने का दावा किया है और कहा कि जांच आयोग के समक्ष गवाही देना अपराध नहीं है। श्रीकुमार वर्ष 2002 के गोधरा दंगे के दौरान सशस्त्र इकाई के प्रभारी के तौर पर विशेष डीजीपी पद पर तैनात थे।
इस बीच, सीतलवाड ने भी अर्जी देकर अभियोजन पक्ष से मामले से जुड़ी उन सामग्री को मुहैया कराने का अनुरोध किया है, जो अभियोजन पक्ष के पास हो सकती है और उक्त मामले में उनके लिए सहायक साबित हो सकती है।
सीतलवाड ने दावा किया है कि अभियोजन पक्ष ने उन दस्तावेजों की सूची मुहैया कराई है, जिनके आधार पर मामला दर्ज किया गया है, लेकिन उन्हें अन्य सामग्री को लेकर अंधेरे में रखा गया है, जो पुलिस और अभियोजन पक्ष के पास हो सकती है और जिनसे उन्हें (तीस्ता को) मदद मिल सकती है।
गौरतलब है कि तीनों आरोपियों के खिलाफ जून 2022 में अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने प्राथमिकी दर्ज की थी और जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की गई थी। मामले में पिछले साल 21 सितंबर को आरोप पत्र दाखिल किया गया।
मामले में मुंबई में रहने वाली सामाजिक कार्यकर्ता सीतलवाड और श्रीकुमार को जून 2022 में गिरफ्तार किया गया था और इस समय दोनों अंतरिम जमानत पर हैं, जबकि भट्ट गुजरात के बनासकांठा जिले में हिरासत में हुई मौत के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं और इस समय पालनपुर जेल में बंद हैं।