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AIMIM से लेकर JDS तक, विपक्षी एकता हो या NDA, आखिर दोनों गंठबंधनों ने इन दलों से क्यों बनाई दूरी

मंगलवार का दिन राजनीतिक हिसाब से काफी दिलचस्प रहा। 2024 चुनाव को लेकर दो अलग-अलग बड़ी बैठके हुई। एक ओर बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक हुई तो दूसरी ओर दिल्ली में एनडीए की बैठक हुई जिसका नेतृत्व भाजपा करती है। दोनों ओर से 2024 को लेकर हुंकार भरी गई। विपक्षी गठबंधन में जहां 26 दल शामिल थे तो वही एनडीए में 38 दल देखे गए। हालांकि, कुछ बड़ी पार्टिया जैसे कि नवीन पटनायक की बीजू जनता दल, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर और चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति दोनों ही गठबंधनों से दूर रही। इन पार्टियों की ओर से अकेले ही चुनाव लड़ने की बात कही गई है। हालांकि कुछ दल ऐसे भी है जो गठबंधन के लिए तो तैयार थे लेकिन विपक्षी एकता हो या फिर एनडीए, दोनों ने उन दलों से दूरी बनाई है। 
 

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हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी सुर्खियों में खूब रहती है। यह 1927 में इसकी स्थापना हुई थी। एआईएमआईएम मुसलमानों की राजनीति करती है। कई राज्यों में अच्छा प्रभाव भी है। जिसमें तेलंगाना, बिहार, महाराष्ट्र शामिल है। बावजूद इसके दोनों ही गठबंधनों की ओर से ओवैसी की पार्टी को महत्व नहीं दिया गया। इसका कारण यह है कि ओवैसी और उनके भाई के द्वारा दिए गए पुराने बयान गठबंधन के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। ओवैसी खुलकर मुस्लिम के पक्ष में बैटिंग करते हैं। ऐसे में हिंदू वोटों का बंटवारा हो सकता है। 

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा कि यह पार्टी सुर्खियों में खूब रहती है। कर्नाटक में पार्टी का अच्छा खासा जनाधार है। लेकिन यह पार्टी ना तो विपक्ष और ना ही एनडीए की बैठक में शामिल हुई। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी ने तो एनडीए की ओर से आमंत्रण का भी इंतजार किया था। इसके साथ ही भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा ने कहा था कि आगामी चुनाव में भाजपा और जेडीएस मिलकर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन दिल्ली से बुलावा नहीं गया। हालांकि, खबर यह है कि बीजेपी और जेडीएस के बीच बातचीत चल रही है और यही कारण कांग्रेस के नेतृत्व वाली गठबंधन से बुलावा नहीं गया।

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट मौलाना बदरुद्दीन अजमल की पार्टी है जिसकी स्थापना उन्होंने 2005 में की थी। पार्टी के पास अच्छा खासा असम और पूर्वोत्तर में जनाधार है। पूर्वोत्तर से छोटी-छोटी पार्टियों को अपने खेमे में शामिल करने वाली एनडीए ने भी उन्हें कोई महत्व नहीं दिया तो वही 2021 में कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाकर चुनाव में लड़ने वाली एआईयूडीएफ को विपक्षी एकता में भी शामिल नहीं किया गया। बताया जा रहा है कि कांग्रेस बदरुद्दीन अजमल के साथ अपने शर्तों पर गठबंधन करना चाहती है। 
 

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राष्ट्रीय लोक दल को जनता परिवार का हिस्सा माना जाता है। ओमप्रकाश चौटाला का रिश्ता नीतीश कुमार से हमेशा बेहतर रहा है। इंडियन नेशनल लोकदल के ही मंच से ही नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की मुहिम शुरू की थी। हालांकि, उन्हें किसी भी गठबंधन से निमंत्रण नहीं मिला। राष्ट्रीय लोक दल से टूटी हुई दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी का भाजपा से गठबंधन है। वहीं, हरियाणा को देखते हुए कांग्रेस इनेलो के साथ कोई गठबंधन नहीं करना चाहती। 

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