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कांग्रेस का वो गठजोड़, मोदी भी नहीं निकाल पाए थे जिसकी तोड़, गुजरात की KHAM थ्योरी का पूरा किस्सा

गुजरात चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपने ऐतिहासिक विजय की ओर  बढ़ रही है, वहीं कांग्रेस के हिस्से प्रचंड हार ही आई है। बीजेपी ने रुझानों में 150 के आंकड़े को पार कर लिया है। लेकिन क्या आपको पता है कि इससे पहले गुजरात में सबसे अधिक सीटों से जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड किसके नाम है? आपका जवाब होगा, 27 सालों से राज्य की सत्ता पर काबिज बीजेपी, लेकिन ये जवाब गलत है। भले ही गुजरात की राजनीति दशकों से नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द घूम रही है। लेकिन एक वक्त था जब पत्रकार से राजनीति में आए माधव सिंह सोलंकी गुजराती की राजनीति की धुरी हुआ करते थे। उन्होंने गुजरात में एक नहीं बल्कि दो बार एक थ्योरी से चुनाव जीता। इस थ्योरी को खाम कहा गया। KHAM अंग्रेजी का चार अक्षरों को जुटा कर बना लिया गया शब्द। ‘के’ से क्षत्रिय जो गुजरात में ओबीसी कैटेगरी में आते हैं। ‘एच’ से हरिजन, ‘ए’ से आदिवासी और ‘एम’ से मुस्लिम। यही फॉर्मूला था जिसके दम पर कांग्रेस ने 1980 की विधानसभा में 141 और 1985 के विधानसभा चुनाव में 149 सीटों पर जीत हासिल की। खाम के इस दौर में माधव सिंह सोलंकी तीन बार मुख्यमंत्री बने। 

कैसे चलन में आया ‘खाम’

1980 के लोकसभा चुनाव के लिए माधव सिंह सोलंकी इंदिरा गांधी से मिले। उनके हाथ में 26 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट थी। लिस्ट के सभी नामों पर इंदिरा गांधी ने अपनी स्वीकृति दे दी। फिर शिष्टाचारवश सोलंकी ने पूछा कि मैडम और कोई आदेश। इंदिर ने कहा कि दलित, आदिवासी, महिलाएं और ओबीसी वर्ग और अल्पसंख्यक कांग्रेस का आधार हैं और इन्हें सही ढंग से लामबंद करना और यहीं से खाम शब्द की उत्तपति मानी गई। ये कांग्रेस की बदली हुई रणनीति का हिस्सा था। 

सोलंकी की खाम ख्योरी से मिली जीत

कांग्रेस ने 1980 और 1985 में भी कांग्रेस इस फॉर्मूलों को अपनाकर चुनावी जीत हासिल की। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी ने सियासी फॉर्मूला बनाया था, जिसमें गुजरात के ओबीसी, मुस्लिम, दलित और आदिवासी शामिल थे। इन जातियों के गठजो़ड़ से गुजरात में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। 1985 के चुनान में माधव सिंह सोलंकी ने 182 में से 149 सीटें जीतकर रिकॉर्ड कायम कर दिया। यह गुजरात के सियासी किले में ऐसा रिकॉर्ड रहा, जिसे पूरे गुजरात को भगवा रंग में रंग देने वाले नरेंद्र मोदी भी नहीं भेद पाए थे। लेकिन इस बार वो करिश्मा होता नजर आ रहा है। 

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