जबसे प्रियंका गांधी वाड्रा के वायनाड से लोकसभा उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया गया है तबसे उनके पति रॉबर्ट वाड्रा बेहद प्रसन्न नजर आ रहे हैं। वैसे रॉबर्ट वाड्रा की खुद की नजर भी अमेठी संसदीय सीट पर थी लेकिन गांधी परिवार ने अपनी पारम्परिक सीट दामाद को नहीं देकर परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को दे दी। रॉबर्ट वाड्रा को हालांकि इस बात का मलाल नहीं है कि उन्हें अमेठी से उम्मीदवार नहीं बनाया गया। उनका कहना है कि अभी इस बात की खुशी है कि पार्टी ने प्रियंका को उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने कहा कि जब भी मुझसे राजनीति में आने पर सवाल किया गया तब मैंने हमेशा कहा है कि प्रियंका गांधी के संसद में आने के बाद मैं सक्रिय राजनीति में आ सकता हूं। हम आपको याद दिला दें कि जब रॉबर्ट वाड्रा ने अमेठी से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी तब उनके समर्थन में पूरे इलाके में पोस्टर भी लगा दिये गये थे लेकिन अंततः बाजी किशोरी लाल शर्मा ने मार ली थी। रॉबर्ट जिस तरह अब भी अपने राजनीतिक कॅरियर के प्रति आशान्वित नजर आ रहे हैं उससे ऐसा लगता है कि उन्हें यकीन है कि अगले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम भी आ जायेगा।
जहां तक प्रियंका गांधी वाड्रा की बात है तो इसमें कोई दो राय नहीं कि उनके चुनावी राजनीति में पदार्पण के साथ ही भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। दरअसल, पिछले दस सालों में यह देखने को मिला है कि संसद के भीतर और बाहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने में राहुल गांधी सफल नहीं हो पाये। वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा ने चुनावों के दौरान मोदी के हर वार पर शानदार तरीके से पलटवार किया है। हालिया चुनावों में भी प्रधानमंत्री मोदी के “सोने और मंगलसूत्र” तथा अन्य बयानों पर पलटवार के अलावा प्रियंका ने मतदाताओं को याद दिलाया था कि कैसे उनके परिवार ने देश के लिए कुर्बानी दी। इसके अलावा उनके अधिकांश भाषण भीड़ से संवाद करने जैसे होते हैं जोकि जनता से जुड़ाव स्थापित करते हैं।
इसे भी पढ़ें: मोदी परिवारवाद का विरोध करते रहे मगर जनता ने परिवारवादी दलों की ताकत में इजाफा कर दिया
बहरहाल, संसद में मोदी-राहुल की राजनीतिक भिड़ंत तो लोग कई बार देख चुके हैं इसलिए सबकी नजरें मोदी-प्रियंका के बीच होने वाले राजनीतिक मुकाबले पर टिकी रहेंगी। राहुल गांधी को तो विश्वास भी है कि उनकी बहन मोदी को हरा सकती हैं। हाल ही में उन्होंने कहा भी था कि यदि प्रियंका वाराणसी से लड़ जातीं तो प्रधानमंत्री दो-तीन लाख वोटों से हार जाते।