लखनऊ। 2019 में अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को मिली हार के चलते करीब आधे दशक के बाद यह पहला मौका है, जब अमेठी के चुनावी रणभूमि में गांधी परिवार से कोई योद्धा मैदान में नहीं है। 1967 से अमेठी का प्रतिनिधित्व करीब 31 वर्ष तक गांधी परिवार के सदस्यों ने किया है। आम चुनाव 2019 में भाजपा की स्मृति इरानी ने राहुल गांधी को 50,120 से वोटों से हराकर कांग्रेस का किला तोड़ दिया। इस बार गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को अमेठी लोकसभा सीट से मैदान में उतारा गया है। इसके पहले 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी व सोनिया गांधी के करीबी कैप्टन सतीश शर्मा चुनावी मैदान में उतारे थे, जिन्हें भाजपा के संजय सिंह से हार का सामना करना पड़ा था।
1999 में सोनिया गांधी ने संजय सिंह को तीन लाख से अधिक वोटों से हराकर सीट दोबारा हासिल की थी। 2004 में सोनिया ने बेटे राहुल गांधी की चुनावी राजनीति की शुरूआत अमेठी से ही कराई। जबकि वह रायबरेली चली गई। राहुल गांधी ने 2004, 2009 और 2014 में जीत हासिल कर लगातार तीन बार अमेठी से सांसद हुए। 2019 में चौथी बार भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी से राहुल गांधी चुनाव हार गए।चुनाव हारने के बाद से राहुल अमेठी दूर होते गए।
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राहुल गांधी से पहले 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी को हराकर अमेठी से सांसद बने थे। संजय गांधी ने अपना चुनावी बदला तीन साल बाद 1980 के आम चुनाव में रवींद्र प्रताप सिंह को हरा कर लिया। उसी वर्ष संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। 1981 के उपचुनाव में बड़े भाई राजीव गांधी छोटे भाई की विरासत संभालने अमेठी पहुंचे। वह अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को दो लाख से अधिक वोटों से हराकर अमेठी से सांसद बने। राजीव गांधी 1991 अमेठी का प्रतिनिधित्व करते रहे। उनकी हत्या के बाद हुए उपचुनाव में राजीव-सोनिया के करीबी सहयोगी सतीश शर्मा ने जीत हासिल की थी।